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बीकानेर,राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र,बीकानेर परिसर में अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के अन्तर्गत किसान-वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन प्रभागाध्यक्ष डॉ.एस.सी.मेहता की अध्यक्षता में किया गया | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो.(डॉ.) के.एम.एल.पाठक, पूर्व उपमहानिदेशक ( पशुविज्ञान ) भा.कृ.अनु.प. थे | उन्होंने बताया कि अश्व पालन में आपसी समन्वय से ही उन्नति संभव हो पा रही है | उन्होंने अश्व पालकों,पशुपालन विभाग एवं अश्व अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों के मध्य समन्वय की प्रशंसा की | उन्होंने आश्वस्त किया कि आज की संगोष्ठी के समस्त बिन्दुओं को अश्व पालकों के हित में, वह केन्द्र सरकार के समक्ष रखेंगे | समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रभागाध्यक्ष, डॉ. मेहता ने बताया कि अश्वों को खरीदने के समय बिचौलियों की बातों में आकर भ्रम में ना पड़े एवं महंगा घोडा जब भी खरीदें तब डी.एन.ए से पेरेन्टेज टेस्टिंग करवा कर ही खरीदें इससे अच्छी नस्ल के घोड़ों को बढ़ावा मिलेगा एवं उन्हें अश्व पालन से अधिक लाभ होगा | उन्होंने स्थानीय स्तर पर अश्वों की प्रतियोगिता करवाने एवं इको-टूरिज्म को बढाने की बात भी की | साथ ही उन्होंने अश्व पालकों से वादा किया कि जिस तरह उनकी मांग पर नुकरा घोडा लाया गया उसी तरह अन्य सुझावों को भी क्रियान्वित किया जायेगा | इस अवसर पर डॉ. आर्तबन्धु साहू, निदेशक राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र,बीकानेर ने कहा कि उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र भी अश्व संवर्धन एवं अश्व प्रतियोगिताओं के लिए भरपूर सहयोग प्रदान करेगा पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक, डॉ. वीरेन्द्र नेत्रा ने अश्व पालकों के लिए ग्लैंडर्स रोग से अश्वों के मुआवजे के लिए सरकार द्वारा दी जा रही राशि, रु 25000/- से बढ़ाने पर बल दिया | विशिष्ठ अतिथि श्री जोरावर सिंह ने कहा कि अच्छी नस्ल के घोडें पालें एवं उचित पोषण पर ध्यान दें | संगोष्ठी में अश्व पालकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया एवं अपने विचार रखे | मुख्य रूप से राजेंद्र सिंह , महिपाल सिंह , मामराज पूनिया एवं प्रदीप सिंह चौहान ने अश्व पालन से सम्बंधित अपने विचार रखे | कार्यक्रम का संचालन डॉ. रमेश देदड, वरि. वैज्ञानिक ने किया एवं कार्यक्रम आयोजन हेतु डॉ. एम.कुट्टी, वैज्ञानिक व डॉ. जितेन्द्र सिंह, फार्म प्रबंधक का सक्रिय योगदान रहा, साथ ही कार्यक्रम के सफल आयोजन में केन्द्र के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सहभागिता रही |

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