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बीकानेर,नए संभागीय आयुक्त की प्रशासनिक सक्रियता बीकानेर संभाग के विकास में नई उम्मीदों का संकेत करती है। कहावत है पूतों के पांव पालने…। वैसे बीकानेर रियासत काल में रजवाड़ा और अभी संभाग मुख्यालय है। रियासत काल में गंगा नहर, पीबीएम अस्पताल, बिजली घर, रेलवे जैसे आधारभूत विकास के काम हुए हैं। अब भी बीकानरे में औद्योगिक विकास, आधारभूत विकास, चिकित्सा, शिक्षा, कृषि और नहरी विकास की प्रस्तावित योजनाएं अनदेखी पड़ी है। कोई सुध लेने और इन विकास योजनाओं को गति देने वाला नहीं रहा है। बीकानेर समग्र विकास की तस्वीर पर अगर नजर डाले तो 50 फीसदी काम मोटिवेशन से, 25 फीसदी सरकार की निगरानी से तथा शेष वित्तीय संसाधनों के विनियोजन से होने है। संभागीय आयुक्त डा. पवन के. नीरज ने पदभार ग्रहण करने के बाद जो सक्रियता दिखाई है उससे लगता है कि वे बीकानेर के विकास में आए ठहराव तो नई दिशा दे सकते हैं। बशर्त वे प्रशासनिक दक्षता, संसाधनों का समुचित उपयोग और अपने अधीन प्रशानिक ढांचे को दायित्व के प्रति सक्रिय कर सकें। अगर ऐसा हो जाता तो संभागीय आयुक्त पद की वे नई प्रतिष्ठा कायम कर सकते हैं। अभी वे इस पद पर आए ही हैं कि फ्लैग शिप योजना की समीक्षा की। आवासीय छात्रावासों का निरीक्षण किया। संविधान की उद्देशिका के प्रति विजन दिखाया है। न्यायिक एव विधिक प्रतियोगिता के लिए नि: शुल्क कोचिंग, संभाग स्तरीय नशा मुक्ति अभियान, रोज व गार्डन प्रतियोगिता, गोचर भूमि का निरीक्षण, राजस्थान भाषा, साहित्य, संस्कृति अकादमी का निरीक्षण उनकी सक्रियता और संवेदनशीलता को दर्शाता है। इसी से उम्मीद बंधी है कि वे प्रशानिक दक्षता और विजन से बीकानेर के विकास को गति और प्रस्तावित योजना को लागू करने में रुचि दिखाएंगे। अन्यथा तो संभागीय आयुक्त के पद की जो साख बची है उसका जिक्र करने की जरूरत नहीं है। बीकानेर संभागीय आयुक्त से पद की प्रतिष्ठा पुन: लौटेगी यह उम्मीद बंधी है। देखते हैं युवा संभागीय आयुक्त प्रदेश में पद की क्या छाप छोड़कर जाते हैं। उनके प्रयास मात्र से बीकानेर एज्युकेशन हब, चिकित्सा का केंद्र, सौर ऊर्जा हब, खाद्य प्रसंस्करण सेंटर, वुल पार्क, एग्रो पार्क, जिप्सम और आभूषण व्यवसाय में आगे बढ़ सकता है। पर्यटन विकास को नई दिशा दी जा सकती है। मेगा फूड पार्क, सुखा बंदरगाह और हवाई सेवाओं के विस्तार की मांगों पर भी प्रशासनिक कार्रवाई वांछित है। देखते हैं होता है क्या।

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