बीकानेर (राजस्थान):गंगाशहर का आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान ‘नैतिकता का शक्तिपीठ’ से विख्यात आचार्य तुलसी समाधि स्थल पर शुक्रवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ वर्तमान अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी का मंगल पदार्पण हुआ तो मानों पूरा बीकानेर ही नहीं, देश भर से हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालुओं की आस्था तरंगित हो उठी और गूंज उठा गगनभेदी जयघोष। जी हां! कुछ ऐसा ही दृश्य नजर आया गंगाशहर में स्थित तेरापंथ धर्मसंघ के नवमें अधिशास्ता, गणाधिपति आचार्यश्री तुलसी के समाधि स्थल नैतिकता का शक्तिपीठ पर। आचार्यश्री तुलसी की 26वें महाप्रयाण दिवस व 25वीं वार्षिकी पुण्यतिथि के मौके पर यह प्रथम अवसर बना था जब तेरापंथ के वर्तमान आचार्य अपने सुगुरु के समाधि स्थल पर पधार रहे थे। ऐसे सुअवसर को साक्षात् अपने नेत्रों से निहारने को हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। प्रातःकाल आचार्यश्री बोथरा भवन से अपनी धवल सेना संग प्रस्थित हुए तो प्रवास स्थल से लेकर आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान तक की सड़कें उपस्थित जनता से आवृत-सी हो गई थी। लहराते जैन ध्वज और गुंजायमान होता जयघोष पूरे वातावरण को महाश्रमणमय बना रहा था। आचार्यश्री लगभग एक किलोमीटर की दूरी तय कर अपने अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी के समाधि स्थल तो श्रद्धालुओं की आस्था हिलोरें लेने लगीं। आचार्यश्री अपने सुगुरु के समाधि स्थल पर पहुंच कर कुछ समय ध्यानस्थ हुए। उस समय का दृश्य ऐसा लग रहा था मानों लम्बे अंतराल के बाद शिष्य अपने सुगुरु का साक्षात्कार कर रहे हों।
कुछ समय पश्चात आचार्यश्री समाधि स्थल के निकट ही बने प्रवचन पंडाल में पधारे। आचार्यश्री के नमस्कार महामंत्रोच्चार से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। प्रवचन पंडाल में उपस्थित जनता को सर्वप्रथम साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उद्बोधित प्रदान किया। समणीवृंद, साध्वीवृंद और मुनिवृंद ने पृथक्-पृथक् गीत के माध्यम से अपनी भावांजलि अर्पित की। साध्वीवर्या साध्वी संबुद्धयशाजी तथा मुख्यमुनि महावीरकुमारजी ने आचार्यश्री तुलसी के कर्तृत्वों पर प्रकाश डाला
उपस्थित जनमेदिनी को आचार्यश्री ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आज आषाढ़ कृष्णा तृतीया है। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी की 26वां महाप्रयाण दिवस और 25वीं वार्षिकी पुण्यतिथि है और संभवतः यह पहला ही प्रसंग कि महाप्रयाण के मूल दिन तेरापंथ के आचार्य गुरुदेव तुलसी के समाधि स्थल के परिपार्श्व में उनकी पुण्यतिथि का कार्यक्रम मना रहे हैं। इससे पूर्व न यहां आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का पुण्यतिथि पर आना हुआ और न ही आज से पहले मेरा आना हुआ था। वर्ष 2022 का ऐसा अवसर है कि इससे पहले मैं आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की मूल पुण्यतिथि के अवसर पर सरदारशहर में उनके समाधि स्थल पर था और आज मैं परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी की मूल पुण्यतिथि के अवसर पर उनके समाधि स्थल पर आ गया हूं। हालांकि इसमें आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान की टीम का परिश्रम भी है।
परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी लगभग ग्यारह वर्ष की आयु में आचार्य कालूगणी से मुनि दीक्षा ग्रहण की। एक होनहार मुनि के रूप में वे ग्यारह वर्षों तक रहे और मात्र बाइस वर्ष की अवस्था में इतने बड़े धर्मसंघ में युवाचार्य और फिर आचार्य भी बन गए। यह विरल और तेरापंथ धर्मसंघ का पहला अवसर था कि कोई इतनी कम उम्र के आचार्य बने। युवावस्था कार्य करने की दृष्टि से उपयुक्त होता है। आचार्य तुलसी तेरापंथ के पहले आचार्य थे जो कोलकाता तक पधारे और फिर राजस्थान से कन्याकुमारी तक पधारे। उनके जीवन में अनेक संघर्ष भी आए, किन्तु उनका संघर्ष में भी हर्ष बना रहा।
आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन प्रारम्भ किया। इस आंदोलन ने तेरापंथ धर्मसंघ और आचार्य तुलसी को व्यापक रूप में स्थापित किया। उनके काल में अनेक संस्थाएं जन्मीं, जिनमें आचार्य तुलसी ने प्राण प्रतिष्ठा भी की। वे संस्थाएं धर्मसंघ को अपनी सेवाएं भी दे रही हैं। वे संस्थाएं मजबूत और कार्यकारी संस्थाएं बन गई हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में ही आचार्य पद का विसर्जन कर अपने युवाचार्य को आचार्य बना दिया, यह भी तेरापंथ धर्मसंघ की प्रथम और अद्वितीय घटना है। उन्होंने कितनों को बढ़ाया और आगे बढ़ाया। शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी को आचार्यश्री तुलसी ने ही साध्वीप्रमुखा पद प्रदान किया था। उन्होंने पचास से अधिक वर्षों तक साध्वीप्रमुखा रूप में सेवा दी। मैंने सरदारशहर में साध्वी विश्रुतविभाजी को साध्वीप्रमुखा के रूप में नियुक्त किया है। वे भी खूब अच्छी और लम्बेकाल तक धर्मसंघ को अपनी सेवाएं देती रहें, ऐसी मेरी मंगलकामना है। उपासक श्रेणी और ज्ञानशाला भी आचार्य तुलसी के विकास का ही अवदान है। आज उनके वार्षिक पुण्यतिथि पर मैं उनका श्रद्धा के साथ स्मरण करता हूं, उनसे उचित प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त होता रहे। आचार्यश्री ने ‘ऊँ जय तुलसी तुलसी नाम….’ जप का भी प्रयोग कराया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित राजस्थान के शिक्षामंत्री श्री बीडी कल्ला ने आचार्यश्री तुलसी के पुण्यतिथि के अवसर पर उनका स्मरण करते हुए वर्तमान आचार्य महाश्रमणजी को वंदन करता हूं। आचार्य तुलसी के अणुव्रत आंदोलन ने पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया और उन्हीं के रूप में आप भी उनके संदेशों को आगे बढ़ा रहे हैं। आपश्री का आशीर्वाद हमारे क्षेत्र की जनता सदैव बना रहे। नोखा के विधायक श्री बिहारीलाल बिश्नोई ने कह कि आज हम सभी के लिए परम सौभाग्य की बात है कि आज आचार्य तुलसी के समाधि स्थल पर महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ है। मैं आचार्य तुलसी को श्रद्धा के साथ स्मरण करता हूं।
कार्यक्रम में आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री महावीर रांका, मंत्री श्री हंसराज डागा, श्री सुशील खटेड़, अणुव्रत समिति-बीकानेर के अध्यक्ष श्री झंवरलाल गोल्छा व श्री रोहित बैद ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। उपासक श्रेणी, तेरापंथ महिला मण्डल व कन्या मण्डल-गंगाशहर, तेरापंथ महिला मण्डल व कन्या मण्डल-शिवाबस्ती ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया।
आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान टीम द्वारा भावपूर्ण गीत
*महाश्रमण का दिव्य आगमन*
*जन जन में शोभित है*
*कण कण आज मुदित है*
*कण कण आज मुदित है*
इस गीत के संगान से पूरा पंडाल गुंजायमान हो गया ।
इस अवसर पर मुनि राजकुमारजी ने भी गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने कोटि जप के अनुष्ठान के संदर्भ में भी आशीष प्रदान की। आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के पदाधिकारियों द्वारा बोथरा परिवार को भूमिदान करने के संदर्भ में अभिनंदन पत्र पूज्य सन्निधि में समर्पित किया गया।