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बीकानेर ऊंची सोच बनाइएb6 अप्रैल का पौषधशाला रांगडी़ चौक में आचार्य श्री ज्ञानचंद्र जी म.सा. ने सभा को संबोधित करते हुए फरमाया कि पैरों में मोच और छोटी सोच, आदमी को आगे नहीं बढ़ने देती।
टूटी कलम और दूसरों से जलन, व्यक्ति को अपना भाग्य खिलाने नहीं देती।
काम का आलस पैसों का लालच, आदमी को महान बनने नहीं देता।
अपना मजहब ऊंचा दूसरों का नीचा, यह आदमी को इंसान नहीं बनने देता।
इंसान को, सच्चे धर्मी को अपनी सोच बड़ी रखने की आवश्यकता है ।
जब दो करोड़ और अधिक 9 करोड़ अरिहंतों को इसी तरह दो हजार करोड़ और 9 हजार करोड़ साधुओं के वंदन की बात कही जाती है तो *”आयरियाणं”* शब्द से भी सभी आचार्यों के वंदन की बात कही गई । उन सब को छोड़कर एक आचार्य को ही मानना एक ढंग से समकित से हटकर मिथ्यात्व में जाना है।
जो लोग घृष्ट है । अपने मान्य साधु के अलावा, दूसरों को हाथ नहीं जोड़ते। वो महावीर के नहीं, संप्रदाय के अनुयायी हैं।
ऐसे लोग धर्म के नाम पर अहिंसा नहीं हिंसा अपना रहे हैं ।
अपनी दुकान में माल है तो बढ़िया है, अगर वही माल दूसरों की दुकान में चला गया तो वो घटिया हो गया।
यह मात्र दुराग्रह है ।
दुकान महत्वपूर्ण नहीं, माल महत्वपूर्ण है ।
जब तक कोई महाराज अपनी मान्य संप्रदाय रूप दुकान पर है तो वो ऊंचे हैं, गुरु हैं ।
अगर वो उनकी दुकान से हटकर सार्वजनिक पैलेस में आकर अपनी मर्यादा की सुरक्षा रखते हुए धर्म प्रचार कर रहे हैं तो वो दुकान की तरह संप्रदाय के खोखे को पकड़ कर चलने वाले के लिए मान्य नहीं माने जाते।
ऐसे लोग महावीर के सच्चे अनुयायी नहीं, बल्कि महावीर के नाम पर महावीर के धर्म में ही जहर घोल रहे हैं ।
ऐसे लोगों से सावधान होने की जरूरत है।
दुकान नहीं, माल से मतलब रखें ।
संप्रदाय नहीं संत का लाभ उठाएं।
जिस आदमी की कलम टूटी है, वो जैसे लिख नहीं सकता। वैसे ही जिसे दूसरों से जलन है, ईष्र्या है वो अपना भाग्य नहीं बना सकता है।
काम का आलस और पैसों का लालच अच्छे अच्छों को रास्ते से भटका देता है।
अपनी संप्रदाय, अपनी सत्ता, अपना पंथ ऊंचा, अपने गुरु ऊंचे। दूसरों के नीचे । ऐसे मानने वाले तथाकथित धर्मी लोग अपनी नीवं डुबो रहे हैं ।
सावधान हो जाइए, उनसे।
*धर्म प्रभावना*
आज णमोत्थुणं मास्टर डिग्री का तीसरा दिन था। भारी संख्या में उपस्थिति रही।
करीब 140 भाई – बहिनों ने मास्टर डिग्री में भाग लिया । सभी ने पूरे उत्साह और रुचि के साथ सब सीखा।
सारी विधि को समझा। आचार्य प्रवर ने सैद्धांतिक के साथ ही इतना वैज्ञानिक और व्यवहारिक ढंग से समझाया कि सबके गले उतर गई ।
हर छोटी से छोटी विधि का आगमिक पक्ष और वैज्ञानिक पक्ष बतलाया गया ।
फिर भी यह छूट दी कि जो भी बात समझ में ना आवे, वो आप कभी भी पूछ सकते हैं, प्रवचन में भी पूछ सकते हैं ।
आचार्य प्रवर ने आगे कहा कि- किसी की बातों में ना आकर कुधारणा बनाकर अपने आप को खराब ना करें ।
आज णमोत्थुणं की बड़ी किताब की प्रभावना, साथ ही स्फटिक मणि की माला की प्रभावना, बीकानेर निवासी श्रीमती शशि देवी कमल चंद जी सांड मुकीम बोथरों के चौक वालों की तरफ से की गई ।
रूमाल की प्रभावना श्री पोकरमल जी राजरानी जी गोयल परिवार की रही।
धागे की प्रभावना श्री सुरेंद्र जी वैद की रही ।
प्रवचन प्रभावना श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ बीकानेर एवं श्री अतर सिंह जी श्रेणीक कुमार जी चौरडि़या इनकी तरफ से लाभ लिया गया है ।
कार्यक्रम बहुत ही शानदार रहा ।
तेरापंथी, मूर्तिपूजक, स्थानकवासी सभी ने पूरे उत्साह से भाग लिया।

7 अप्रैल का प्रवचन भी पौषधशाला रांगड़ी चौक के लिए घोषित हुआ ।

8 अप्रैल को प्रातः 8:30 बजे *श्री णमोत्थुणं जाप* धर्मवीर नररत्न खेमचंद जी मुकीम के निवास पर मुकीम बोथरों के चौक के लिए घोषित हुआ ।

9 अप्रैल का प्रवचन गुरुभक्त दीपेंद्र जी सोनी भवानी अपार्टमेंट, रानी बाजार के लिए घोषित हुआ।

10 अप्रैल का प्रवचन होटल राज महल, गोयल परिवार के यहां घोषित हुआ।

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