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बीकानेर,आचार्य महाश्रमण ने 25 साल से मीठा भी नहीं चखा है। 60 साल की उम्र में भी वह रोजाना 15-20 KM पैदल चलते हैं। उसके बाद भी बिना विश्राम के प्रवचन करते हैं और फिर श्रावक-श्राविकाओं से मिलते हैं।महाश्रमण अपने 150 श्रावक-श्राविकाओं के साथ पाली आए हैं। इस मौके पर आचार्य के सानिध्य में रहने वाले मुनि अनुषिष्णा से बातचीत की। उन्होंने महाश्रमण की दिनचर्या के बारे में बताया।

मुनि अनुशासन ने बताया कि आचार्य प्रतिदिन योग, प्राणायाम, ध्यान करते हैं। करीब 15-20 किमी पैदल चलें और मिठाई, तली-भुनी चीजों से दूरी बनाकर रखें। पिछले 25 सालों से आचार्य ने मीठा भी नहीं चखा है। उन्होंने बताया कि आचार्य कहते हैं कि खुद को फिट रखना और खान-पान पर नियंत्रण रखना भी किसी तपस्या से कम नहीं है।

मुनि अनुशासन ने बताया कि आचार्य महाश्रमण प्रतिदिन 3:30 से 4 बजे उठ जाते हैं। उसके बाद करीब डेढ़ से दो घंटे तक योग-प्राणायन और ध्यान करें। आचार्य प्रेक्षा बहुत ध्यान करती हैं। उसके बाद अर्हत वंदना, प्रतिक्रमण, अनुलेखन करते हैं। और उपदेश देना या दैनिक कार्य करना उनकी दिनचर्या में शामिल है। इसके साथ ही आचार्य विहार रोजाना करीब 15-20 किलोमीटर का सफर तय करते हैं।उन्होंने बताया कि आचार्य अब तक 52 हजार किमी से अधिक पैदल यात्रा कर चुके हैं। आचार्य भारत के साथ भूटान और नेपाल तक पैदल गए हैं। वैराग्य अपनाने के बाद आचार्य ने कभी वाहन का प्रयोग नहीं किया। वह जहां भी जाते हैं लोगों को नैतिकता, ईमानदारी और नशामुक्ति का संदेश देते हैं।

आचार्य जहां भी जाते हैं लोगों को नशामुक्ति का संदेश देते हैं। वह अब तक हजारों लोगों को गुटखा आदि की लत से मुक्त करा चुके हैं और करीब एक करोड़ लोगों को नशामुक्ति की शपथ दिला चुके हैं। क्योंकि आचार्य का मानना है कि नशा जीवन को नष्ट करने का काम करता है। नशे में व्यक्ति अपने दिमाग पर नियंत्रण खो देता है और वह करता है जो उसे नहीं करना चाहिए।

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