बीकानेर,राजस्थान सरकार ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए भले ही अनेक सरकारी योजनाएँ चला रखी हो, लेकिन आज भी राजस्थान सामाजिक कुरूतियों से अछूता नहीं है। लोग अब भी जागरूक नहीं हो रहे है।राजस्थान में अगर बाल विवाह की बात की जाए तो यहां हर एक चौथी महिला का 18 वर्ष से कम की उम्र में बाल विवाह कर दिया जाता है। नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे-5 के ताजा आकंड़ो की बात करे तो हमें यह आंकड़े बताते है की देश में 20 से 24 साल उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी है जिनका बाल विवाह हुआ है। राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी के अनुसार राजस्थान प्रदेश में साल 2019 में 20, 2020 में 03, 2021 में 11 बाल विवाह क मामले दर्ज किए गए है। यह आंकड़े सरकार के महिला सशक्तिकरण को लेकर किए गए दावों की पोल खोल रहे है।जानिए बाल विवाह के मामलों में देश में राजस्थान का स्थान
बाल विवाह के मामलों में देश में राजस्थान का दूसरा स्थान है। पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल आता है। इससे पहले बाल विवाह के मामलों में राजस्थान सातवें स्थान पर था। राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में यह आंकड़े कम होने की बजाय काफी बढ़े है, जो चिंता का विषय है। यह चौंकाने वाले तथ्य नेशनल फैमेली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) में सामने आए हैं। यह सर्वे बच्चों और महिलाओं में शिक्षा के साथ साथ अनेक मुद्दों को लेकर किया गया था। यह रिपोर्ट 2019-21 के मध्य की है। राजस्थान में बाल विवाह के आंकड़ों को कम करने के लिए सरकार को अथक प्रयास करने होंगे।क्या कहती है रिपोर्ट ?
बीकानेर,भारत सरकार की 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान प्रदेश में 12,91,700 लोगों का बाल विवाह हुआ है। यह देश के बाल विवाह का 11 प्रतिशत है। राजस्थान के लिए यह आंकड़े गंभीर चिंता का विषय है। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन(केएससीएफ) द्वारा आयोजित बाल विवाह मुक्त भारत अभियान में स्वयंसेवी संस्थाओं ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की। सरकार से अपील की है कि बाल विवाह रोकने के लिए कानून का पालन कराया जाए। आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल बाल विवाह के मामलों में अभी भी पहले स्थान पर है।