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बीकानेर,यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद महंगाई का दोष इस युद्ध पर डाला जाने लगा। अमेरिका-यूरोप में अब महंगाई के लिए ‘पुतिन इन्फ्लेशन’ शब्द काफी चर्चित है। लेकिन अब दो थिंक टैंक की रिपोर्टों से मौजूदा महंगाई के एक ऐसे पहलू पर रोशनी पड़ी है, जिसे अब तक मोटे तौर पर चर्चा से बाहर रखा गया है।

महंगाई से सारी दुनिया परेशान है। इस बार खास बात यह है कि धनी देश भी इससे बचे नहीं हैँ। ढाई महीने पहले तक महंगाई का दोष कोरोना महामारी के कारण बने हालात पर डाला जाता था। लॉकडाउन की वजह सप्लाई चेन में आई रुकावट को इसके लिए दोषी ठहराया जाता था। 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दोष इस युद्ध पर डाला जाने लगा। अमेरिका और यूरोप में अब महंगाई के लिए ‘पुतिन इन्फ्लेशन’ शब्द काफी चर्चित है। लेकिन अब अमेरिका के दो थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्टों से मौजूदा महंगाई के एक ऐसे पहलू पर रोशनी डाली है, जिसे अब तक मोटे तौर पर चर्चा से बाहर रखा गया है। मसलन, एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2020 की दूसरी तिमाही से 2021 की चौथी तिमाही तक बढ़ी महंगाई में कॉरपोरेट मुनाफे का हिस्सा 53.9 प्रतिशत रहा। इसमें उत्पादन में लगने वाली सामग्रियों की बढ़ी लागत का हिस्सा 38.3 फीसदी रहा। जबकि बढ़ी मजदूरी का हिस्सा सिर्फ 7.9 प्रतिशत रहा। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना महामारी के काल में कॉरपोरेट मुनाफे में असाधारण वृद्धि हुई।

थिंक टैंक इकॉनमिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ईपीआई) की इस रिपोर्ट के मुताबिक 1979 से 2019 तक मुद्रास्फीति दर बढ़ने के पीछे कॉरपोरेट मुनाफे का हिस्सा औसतन 11.4 प्रतिशत ही रहा था। इस दौरान लेबर कॉस्ट का हिस्सा 61.8 प्रतिशत था। लेकिन कोरोना काल में ये ट्रेंड बिल्कुल पलट गया। इस रिपोर्ट से अलग हट कर देखें, तो ईपीआई के निष्कर्ष की पुष्टि पिछले दो साल में अरबपतियों के धन में हुई अकूत बढ़ोतरी से भी होती है। एक अन्य थिंक टैंक- एकाउंटेबल यूए- की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना काल में कंपनियों ने आम कर्मचारियों ने वेतन और भत्तों में भारी कटौती की। जबकि इसी दौरान सीईओ और अन्य प्रबंधकों के वेतन-भत्तों में भारी इजाफा किया गया। इससे कंपनियों के भीतर वेज गैप बहुत बढ़ गया है। दरअसल, यूक्रेन पर रूसी हमले के पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी देश में बढ़ रही महंगाई के लिए कई बार बड़ी कंपनियों के बढ़ते मुनाफे को जिम्मेदार ठहराया था। तब कॉरपोरेट सेक्टर की तरफ से उनकी कड़ी आलोचना की गई थी। इस बीच यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से महंगाई तो और भी तेजी से बढ़ी है, लेकिन ‘कॉरपोरेट ग्रीड’ का मुद्दा दबा रहा है। लेकिन दोनों ताजा रिपोर्टों ने इस तरफ फिर विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है।

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