बीकानेर,राजस्थानी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने तीन सालों के बकाया पुरस्कारों के लिए आवेदन मांगे हैं। नामचीनी साहित्यकार कमल रंगा, डा.बृज रतन जोशी, मधु आचार्य, सुशील छगाणी के सम्मलित प्रयासों से जैसा कि इनका दावा है राजस्थानी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के 2019 से 22 तक बकाया तीन साल के पुरस्कारों की राशि 13 लाख 50 हजार आवंटित कर दी गई है। इनके लिए 29 सितम्बर तक आवेदन करने होंगे। इन साहित्यकारों की इस काम के लिए जितनी प्रशंसा की जाए कम है। इसमें प्रज्ञालय संस्थान, राजस्थानी युवा लेखक संघ का भी योगदान है। इन साहित्यकारों और साहित्यिक संगठनों ने सरकार को झकझोरा तब कहीं जाकर बकाया पुरस्कारों की राशि मिल पाई। अन्यथा चुनाव आ जाते नई सरकार बन जाती और बकाया वर्षों के पुरस्कार अतीत की बात हो जाती। शिक्षा मंत्री ने तो अकादमी के मंच से कह भी दिया था कि बजट घोषणा हो चुकी है। अब तो अन्य मद से राशि की व्यवस्था करनी पड़ेगी। इन साहित्यकारों की जागरूकता से सरकार को दवाब में आकर बजट प्रावधानों के बिना यह राशि दूसरे मद से देनी पड़ी। एक जमाना था साहित्यकारों की पहचान उनकी रचनाधर्मिता से होती थी। वे अपन सृजन के कारण पाठकों के मनों में बसते थे। पुरस्कार की उनको चाह नहीं होती। फिर भी पुरस्कार चलकर उन तक आते। दुर्भाग्य है कि आज साहित्यकारों को पुरस्कार लेकर अपनी पहचान बतानी पड़ती है। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में 2019 से 23 के बीच कितना उल्लेखनीय काम हुआ है? जिससे साहित्यकार की पाठकों में वाह वाही हुई हो। ऐसे कितने रचनाकार को जनता से मान सम्मान मिला होगा ,पुरस्कार तो बहुतों को मिलें हैं। जिनको पुरस्कार मिले हैं कुछ को छोड़कर क्या पाठकों को उनकी लिखी पुस्तकों के नाम भी पता है क्या? अकादमी का 2023 का पुरस्कार वितरण समारोह डा. कल्ला के सान्निध्य में आयोजित किया गया। जिसमें राम बख्श को दिया गया पुरस्कार अकादमी की छवि पर कालिख जैसा रहा। राजस्थानी का पुरस्कार पाने वाला यह शख्स राजस्थानी में बोल नहीं पाया। श्रोताओं ने हूट किया। आरोप लगे की अकादमी अध्यक्ष शिव राज छंगाणी और उपाध्यक्ष भरत ओला ने चहेतों को रेवड़ियां बांट दी। इसका सच राजस्थानी के सारे साहित्यकार जानते हैं। समाचार छपे की सर्वाधिक पुरस्कार बीकानेर के ही एक ही जाति के लोगों को दिए गए। जिसमें ऐसे व्यक्ति भी शामिल है जिनकी राजस्थानी में एक भी रचना नहीं है।2023 के अकादमी पुरस्कारों की यह बंदर बांट साहित्यकारों और मीडिया में सुर्खियां में रही। राजस्थानी के साहित्यकार डा. मन मोहन यादव ने टिप्पणी की हम साहित्यकार ये पुरस्कार लेकर समाज के दर्पण बनने की परिभाषा गढ़ते हैं? इस वर्ष चुनाव के दवाब में डा. बी डी कल्ला ने अन्य मद से राशि की घोषणा करके कोई गलत काम नहीं किया है। जरूरत अकादमी को अपनी छवि सुधारने की है। अकादमी चहेते और चापलूसों से दूर रहकर अपनी खोई हुई छवि को पाक साफ कर सकती हैं। पुरस्कारों के वितरण में निष्पक्षता से ही अकादमी की साख बचेगी। अन्यथा तो अकादमी पुरस्कार प्राप्त लेखकों को समाज अलग नजरिए से देखेगा।
Trending Now
- 68वीं जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता खो-खो 19 वर्षीय छात्र वर्ग का आयोजन-राउमावि,नौरंगदेसर
- आरएएस अधिकारी प्रियंका बिश्नोई की ईलाज में वसुंधरा हॉस्पीटल द्वारा लापरवाही बरतने से हुए देहावसान की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग,बिहारी बिश्नोई
- भारतीय किसान संघ का जिला सम्मेलन राठौड़ अध्यक्ष और सीगड़ मंत्री मनोनित
- शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रतिनिधिमंडल नें की राज्यपाल हरीभाऊ किशनराव बागडे से शिष्टाचार भेंटवार्ता
- ग्यारवीं कूडो जिला स्तरीय चैंपियनशिप व कैंप का आगाज
- युवाओं को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाएगा रोटरी क्लब
- केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के प्रयास से एयरपोर्ट के विकास और विस्तार में आएगी तेजी
- महामहिम हरिभाऊ साहब पूरे प्रदेश के विश्व विद्यालयों के मानक अधूरे
- अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल कोच स्व.विक्रम सिंह शेखावत स्मृति फुटबॉल प्रतियोगिता का समापन,राजस्थान पुलिस ब्लू और स्पोर्ट्स स्कूल चैंपियन
- राम रहीम के बाद आसाराम को मिली 7 दिन की आजादी,जोधपुर हाई कोर्ट ने दी पैरोल
- वेटरनरी विश्वविद्यालय में,स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों हेतु बैठक आयोजित कुलपति आचार्य दीक्षित ने ली बैठक
- बीकानेर में आयोजित होगा सुशासन के 100 वर्ष समारोह,देश और दुनिया में बीकानेर का नाम रोशन करने वाली 100 प्रतिभाओं का होगा सम्मान
- बालसंत द्वारा पर्यावरण संरक्षण के तहत वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाते हुए 6 साल में निरंतर अब तक कुल 5 पांच लाख पोंधे किये वितरण
- दो युवा करण विजय उपाध्याय ओर निलेश राजेंद्र पारीक ने गोशाला में 14 क्विंटल गो प्रसादी कर मनाया अपना जन्मदिन गोभक्तो ने की प्रशंसा
- धूमावती माताओं के चेहरे पर मुस्कान लाना ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य,पचीसिया