बीकानेर,अभिनव राजस्थान पार्टी ने प्रदेश स्तर पर बेसहारा गौवंश की दुर्दशा को रोकने के लिए मुहीम चलाई हैँ,पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अशोक चौधरी ने अपने कार्यक्रताओ ओर आमजन के सहयोग से बेसहारा गौ वंश की सार संभाल के लिए गौशाला, गोचर और मनरेगा को जोड़कर इन मूक जीवों के लिए राजस्थान में बेहतर प्रबंधन करने के बारे में माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सामूहिक पत्र लिखने का अभियान चलाया हैँ।
इसी अनुसंसा में अभिनव राजस्थान पार्टी बीकानेर की तरफ से पार्टी महासचिव एडवोकेट हनुमान प्रसाद शर्मा एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष एस.एस शर्मा ने मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखते हुए बताया कि-
राजस्थान की सड़कों और गलियों में लाखों बछड़े, सांड और बूढ़ी गायें भटक रही हैं. यह हमारे समाज और सरकार के ऊपर कलंक है. एक तरफ तो राजस्थान गौवंश के लिए बलिदान देने वाले लोकदेवताओं की गाथाओं से भरा पड़ा है जबकि दूसरी ओर आज गौवंश की यह दुर्दशा है. क्या बीतती होगी उन पुण्य देव आत्माओं पर ?
हमारा मकसद केवल समस्या बताना नही, बल्कि समाधान ढूंढ़ना हैं, हमारी पार्टी की तरफ से प्रमुख सुझाव है,जो बेसहारा गौ वंश के लिए संजीवनी का काम करेंगे-
1. राजस्थान में लगभग 17 लाख हेक्टेयर गोचर भूमि है, जो कंटीली झाड़ियों और बेकार घासों से अटी पड़ी है. कुछ पर अतिक्रमण भी है. सरकार सबसे पहले अतिक्रमण से मुक्त जमीन को मनरेगा से विकसित करवा ले अतिक्रमण हटाने की बात कहकर अफसरों ने टांग अड़ाई तो यह काम आगे नहीं बढ़ेगा. वह बाद में देख लिया जाये. पहले जो मुक्त भूमि है, उसमें घास और पेड़ लगाने के साथ पानी का प्रबंध किया जाए. पंचायत राज की ग्रामीण विकास की योजनाओं में चारागाह विकास पहले से शामिल है और मनरेगा योजना में भी इसका प्रावधान है.
2. गौशालाओं को गोचर भूमि आवंटित करके उन्हें अधिक सुविधाजनक बनाएं गोचर में गौशाला नहीं खुलेगी तो कहाँ खुलेगी ? क्या बेतुका नियम है ? इसे सरकार तुरंत बदले, साथ ही मनरेगा योजना से गौशालाओं को फंड उपलब्ध करवाया जाए तो वे भी गोचर को विकसित करने में पीछे नहीं रहेंगी.
3. नंदीशालाओं की आपकी बजट घोषणाओं का बुरा हाल है. अभी तो जिला मुख्यालयों पर भी ये ठीक से स्थापित नहीं हुई है. पंचायत समिति और ग्राम पंचायत स्तर पर इनकी स्थापना अभी बहुत दूर की कौड़ी है. यह योजना अफसरों ने ऐसी बनाई है कि इन नंदीशालाओं का खोलना संभव नहीं लगता. हमारा सुझाव है कि आप यह काम भी स्थापित गौशालाओं को सौंप दो डेढ़ करोड़ की एक मुश्त राशि और नियमित अनुदान से वे नंदीशालाओं को बहुत ढंग से चला लेंगी..
4. गौवंश के नाम से जो काऊ सेस सरकार ले रही है, उसे हर महीने गौशालाओं को क्यों नहीं दिया जा रहा है ? इनके प्रबंधन को पूरा थकाकर यह राशि दे जाती है, जैसे उन पर भारी अहसान किया जा रहा हो. सरकार अपनी यह प्रवृति बदले.
5. गौशालाओं के प्रबंध के लिए मनरेगा योजना से नियमित मजदूर दिए जाएँ ताकि उनको अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी वित्तीय मदद मिल जायेगी और वे गौसेवा का काम ज्यादा आसानी
से कर सकेंगी. मजदूर भी धन के साथ गौसेवा का पुण्य भी कमा लेंगे.
हमारे इन पांच सुझावों को सरकार आने वाले बजट में शामिल करें और तीन महीने में उन प्रावधानों को लागू करवाएं.
ऐसा माननीय मुख्यमंत्री जी से विनम्र आग्रह है. इससे सरकार और मुख्यमंत्री जी की छवि भी सुधरेगी तो इन मूक जीवों की आत्माओं की दुआएं भी मिलेंगी.