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बीकानेर,श्रीडूंगरगढ़. यहां राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति के प्रांगण में डॉ. मदन सैनी की लिखी राजस्थानी भाषा की पुस्तक “आस-औलाद” का विमोचन हुआ। आयोजित समारोह के दौरान अतिथि जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्व विद्यालय के उपकुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, संगीत नाटक अकादमी के पूर्व सचिव डाॅ. डी.बी. क्षीरसागर, डाॅ. चेतन स्वामी, महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय के अतिरिक्त कुल सचिव डाॅ. बिट्ठल बिस्सा,भीखमचंद पुगलिया, साहित्यकार श्याम महर्षि, श्रीभगवान सैनी, डॉ.प्रदीप कुमार दीप, लॉयन महावीर माली आदि अतिथियों ने पुस्तक का विमोचन किया। अतिथियों ने कहा कि डॉ. सैनी अपनी कहानियों के माध्यम से एक स्वच्छ परिवेश वाले समाज की हिमायत करते हैं। सैनी की कहानियां भाषा की चकाचौंध विषय से परे और सरल व सहज भाषा में लिखी हुई है। राजस्थानी भाषा में लिखे इस संग्रह की यह आस-औलाद पुस्तक की कहानी एक ऐसा किस्सा है, जो पूरी तरह न्यायिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रही है कि न्याय में गवाह की भूमिका आत्मा के सत्य पर क्यों नहीं टिकी हुई है।
श्रीडूंगरगढ़ में जन्मे 65 वर्षीय डॉ. सैनी ने गुजरात के सरदार पटेल विश्वविद्यालय से राजस्थानी काव्य रामकथा पर पीएचडी की और नोखा की राजकीय महाविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए हैं। कई शोध संस्थान में कार्य कर चुके सैनी का राजस्थानी भाषा में कहानी, निबंध संग्रह, बाल साहित्य लेखन के अलावा कई उपन्यासों का अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है। सैनी अकादमियों व कई संस्थाओं से सम्मानित हुए हैं और राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर की 19वीं सरस्वती सभा के सदस्य भी है।

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