बीकानेर,जयपुर,राजस्थान से 9 जिले और 3 संभाग खत्म होने के बाद अब बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। खत्म किए गए जिलों से अब कलेक्टर, एसपी और जिला स्तर के अफसरों को हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी। नए साल में जिला स्तर के अफसरों को दूसरे जिलों में भेजने के आदेश जारी होंगे।
सरकार ने दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़, सांचौर जिलों को निरस्त कर पुराने जिलों में मर्ज किया है। साथ ही बांसवाड़ा, पाली और सीकर संभागों को खत्म किया है।
वित्त विभाग के सूत्रों की मानें तो ऐसा कर सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए का बजट बचा लिया है। हालांकि जिले रद्द करने से लाखों लोगों को अपने डॉक्युमेंट अपडेट करने में करोड़ों रुपए खर्च करने होंगे। स्कूल-अस्पतालों सहित सरकारी दफ्तरों के साइन बोर्ड और पूरी सरकारी स्टेशनरी बदलने में भी खर्चा होगा।
6 जिलों में फुल फ्लैश कलेक्टर,3 संभागीय आयुक्त हटेंगे
जिन 9 जिलों को खत्म किया गया है, उनमें 6 में अभी कलेक्टर लगे हैं, जबकि 3 में कलेक्टर का अतिरिक्त चार्ज था। अब 6 जिलों में कलेक्टर लगे अफसरों के कभी भी तबादला आदेश निकल जाएंगे। इसके अलावा सीकर, पाली और बांसवाड़ा के संभागीय आयुक्त भी हटेंगे।
ये 6 कलेक्टर हटेंगे :नीमकाथाना कलेक्टर शरद मेहरा, अनूपगढ़ कलेक्टर अवधेश मीणा, शाहपुरा कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत, केकड़ी कलेक्टर श्वेता चौहान, गंगापुरसिटी कलेक्टर गौरव सैनी और सांचौर कलेक्टर शक्ति सिंह राठौड़ के अब तबादलों की तैयारी है।
तीन जिलों की जिम्मेदारी अतिरिक्त के तौर पर थी। दूदू और जयपुर ग्रामीण जिलों के कलेक्टर का अतिरिक्त चार्ज जयपुर कलेक्टर के पास था, जबकि जोधपुर ग्रामीण जिले के कलेक्टर का अतिरिक्त चार्ज जोधपुर कलेक्टर के पास था। इसलिए अब 9 में से 6 जिलों के कलेक्टरों को हटाया जाएगा, जबकि 3 जिलों के कलेक्टरों का अतिरिक्त चार्ज ही हटेगा।
खत्म किए 3 जिलों में ही एसपी लगे थे
खत्म किए गए 9 में से 3 जिलों में ही एसपी लगाए हुए थे, बाकी जगह अतिरिक्त चार्ज देकर ही काम चलाया जा रहा था। अब केवल अनूपगढ़ से एसपी रमेश मौर्य को ही हटाया जाएगा।
क्योंकि जोधपुर ग्रामीण और जयपुर ग्रामीण में पहले भी एसपी कार्यालय थे, नए जिले बनाने के बाद भी यहां एसपी बरकरार रहेंगे। ये पहले से पुलिस जिले हैं, पुलिस जिलों का प्रशासन अलग से चलता है, इसलिए जिले खत्म होने के बावजूद ये पुलिस जिले बरकरार रहेंगे और यहां एसपी का पद भी रहेगा।
फाइलें पुराने जिलों में शिफ्ट होंगी
खत्म किए गए 9 जिलों के कलेक्टर-एसपी के दफ्तर अब खाली होंगे। कलेक्टर-एसपी और दूसरे जिला स्तर के दफ्तरों से फाइलें और दस्तावेज अब पुराने जिलों में जाएंगे। खत्म किए गए जिले को जिस जिले में मर्ज किया है, सारे दस्तावेज वहीं भेजे जाएंगे। कई जगह इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
कांग्रेस सरकार में बांसवाड़ा को संभाग बनाया गया था, लेकिन मौजूदा सरकार ने संभाग का दर्जा खत्म कर दिया है।
एक जिले के लिए 1000 करोड़, संभाग के लिए 500 करोड़ खर्च होते हैं
एक जिले के बनने में करीब 1000 करोड़ रुपए का बजट चाहिए। यह पैसा एक साथ नहीं लगता, लेकिन जिला बनाने से लेकर उसके सभी दफ्तर और जिले का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में सरकार को एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने होते हैं। वित्त विभाग ने नए जिले बनने पर इस खर्च का अनुमान लगाया था।
9 जिले और 3 संभाग खत्म करने से सरकार को अब 10 हजार करोड़ के आसपास का फंड बचा लिया है, क्योंकि हर जिले पर एक हजार करोड़ के हिसाब से 9 जिलों पर करीब 9000 करोड़ और प्रति संभाग के 500 करोड़ के हिसाब से तीन संभागों पर करीब 1500 करोड़ खर्च होते।
सांचौर से जिले का दर्जा खत्म होने के बाद विरोध-प्रदर्शन करते लोग।
सांचौर से जिले का दर्जा खत्म होने के बाद विरोध-प्रदर्शन करते लोग।
गहलोत सरकार ने जब 17 नए जिलों और 3 संभाग बनाए थे, तब सभी के लिए करीब 900 करोड़ का बजट दिया था। नए जिलों में पहले फेज में कलेक्टर-एसपी के दफ्तर शुरू किए गए थे, इसके बाद फेज में अन्य विभागों के जिला लेवल के दफ्तर शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
9 जिलों के लोगों के आधार-पैन-वोटर, आईडी जैसे दस्तावेज बदलेंगे
खत्म किए गए 9 जिलों के लोगों के दस्तावेजों में अब फिर बदलाव करवाने होंगे। जिले का नाम बदलने के कारण अब सभी सरकारी दस्तावेजों में बदलाव होगा।
राशन कार्ड, वोटर आईडी, आधार कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक सहित सभी तरह के कार्ड और दस्तावेज फिर से बनेंगे। इन्हें बनवाने के लिए फीस भी लगेगी और सरकारी दफ्तरों तक जाना होगा।
प्रॉपर्टी के दस्तावेजों में भी जिले का नाम अपडेट करना होगा। जिन 9 जिलों को खत्म किया है, उनमें रहने वाले लोगों को डेढ़ साल में दूसरी बार अपने दस्तावेजों में जिले का नाम अपडेट करना पड़ेगा।
अनुमान के मुताबिक 25 लाख से ज्यादा आबादी को अपने डॉक्युमेंट में बदलाव करना पड़ सकता है।
जिन 9 जिलों को खत्म किया है, उनकी पूरी सरकारी स्टेशनरी नए सिरे से तैयार होगी। इस पर बड़ा बजट खर्च होगा। सरकारी भवनों पर लिखे नाम भी बदलने होंगे, जिले का नाम बदलकर अपडेट करने के लिए सरकारी दफ्तरों के भवनों पर नए सिरे से नाम लिखवाने होंगे।
ग्राम पंचायतों के भवनों से लेकर सरकारी स्कूलों, सरकारी अस्पतालों, ग्राम पंचायत भवनों, पटवार भवनों, पंचायत समिति भवनों, उपखंड-तहसील कार्यालयों, जिला-तहसील स्तर के सभी सरकारी विभागों के दफ्तरों पर वॉल पैंटिंग से लेकर साइन बोर्ड, होर्डिंग तक पर जिले का नाम बदलवाने पड़ेंगे। इन सब दफ्तरों की स्टेशनरी पर भी नाम बदलेंगे, इस पूरे बदलाव में करोड़ों खर्च आएगा।
जिले का दर्जा खत्म करने का विरोध भी हो रहा है। सोमवार को बंद पड़ा भीलवाड़ा का शाहपुरा कस्बा।
खत्म किए जिलों में पुलिस लाइन,सिविल लाइंस,जिला लेवल के दफ्तरों का अब क्या होगा?
जिन 9 जिलों को खत्म किया गया है, वहां पर जिले के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने और सरकारी दफ्तर बनाने के लिए जमीनें आवंटित कर दी गई थीं।
खत्म किए गए जिलों में पुलिस लाइन, सिविल लाइंस, जिला लेवल के दफ्तरों के लिए जमीनें आवंटित हो चुकी थीं। अब इन आवंटित जमीनों को दूसरे काम में लिया जाएगा। यहां अब जिला स्तर की जगह उपखंड स्तर के दफ्तर चल सकते हैं