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बीकानेर,वाद्य यंत्रों को बजाने की भी कला होती है। सुर, ताल और लय के संगम से वाद्य यंत्रों से निकले स्वर किसी को भी मन्त्र मुग्ध करने की ताकत रखते हैं। इन वाद्य यंत्र को बजाने में अच्छे-अच्छे कलाकारों के पसीने छूट जाते हैं लेकिन इन वाद्य यंत्रों के सुर-ताल हूबहू किसी के गले से निकलें तो अंगुली का दांतों तले जाना स्वाभाविक है। यहां के एक युवक ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। उसने बहुत से वाद्य यंत्रों के सुर ताल को गले में ऐसे ढाला है कि जब वह उनकी आवाज निकालता है तो यह पता ही नहीं चलता कि आवाज वाद्य यंत्र की है या गले की।

आपको बता दे कि हम गंगाशहर नई लाइन निवासी ३४ वर्षीय रामदेव राणा की बात कर रहे हैं जो गले से ढोलक, तबला, ड्रम, पंजाब ढोल, डांडिया की हूबहू आवाज निकालते हैं। दसवीं तक पढ़े राणा को बचपन से गाने बजाने का शौक रहा है। इनके पिता गणेशमल राणा अच्छे ढोलक वादक है। बचपन से अपने पिता को ढोलक बजाते देखकर यह भी संगीत की दुनिया में कदम बढ़ाया। रामदेव गले से विभिन्न वाद्ययंत्रों को बजाने के अलावा हाथों से भी बेहतरीन ढोलक बजाता है।

१० साल से बजा रहा ढोलक
रामदेव छोटे-मोटे कार्यक्रम जागरण, भजन-कीर्तन आदि में जाकर अपनी कला से प्रस्तुति देता है। पहले लोग उसे जानते नहीं थे लेकिन अब हालात अलग है। जागरण व कोई कार्यक्रम हो और लोगों को पता चल जाए कि यहां रामदेव आएगा तो लोग बड़ी उत्सुकता से उसकी प्रस्तुति का इंतजार करते हैं। रामदेव की प्रस्तुति देखकर आश्चर्यचकित होते हैं। रामदेव पिछले १५ साल से हाथों वे ढोलक बजा रहा है। १० साल से वह गले से ढोलक बजा रहा है।

लगातार तीन घंटे ढोलक बजाने का रिकॉर्ड
रामदेव बताता है कि वह गले से लगातार तीन घंटे तक ढोलक बजा सकता है। ऐसा कारनामा वह कई बार कर चुका है। वह बताता है कि पॉप म्युजिक के दौरान आठ उपकरणों के एक साथ बजने के दौरान जो म्यूजिक सुनाई देता है वह गले से हूबहू निकाल लेता है। इस उपकरण को हाथों व पैरों से बजाने में पसीने छूट जाते हैं।

यूट्यूब पर बनाया खुद का चैनल्स
राणा बताते हैं कि उसने गले से ढोलक, तबला, डांडिया, पंजाबी ढोल व ड्रम बजाने की आवाज के वीडियो बनाकर अब यूट्यूब पर अपलोड करने शुरू किए हैं। इन वीडियो को अब तक लाखों लोग देख चुके हैं। वे बताते हैं कि एक बार वह किसी कार्यक्रम में पहली बार गया, जहां आयोजकों ने उसका गले से ढोलक बजाते का वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड किया जिसे अब तक ६० लाख से अधिक लोग देख चुके हैं।

मुकम्मल मुकाम हासिल करना लक्ष्य
रामदेव बताते हैं कि उसके पिता ढोलक बजाते थे, जिससे वह भी ढोलक बजाने लगा लेकिन मन में ख्याल आया कि कुछ नया करूं, जिससे मेरी खुद की पहचान बने। इसी सोच और इरादे के साथ गले से ढोलक व अन्य वाद्य यंत्रों को बजाने की कोशिश की। नतीजन अब कई घंटों तक ढोलक बजा सकता हूं। मुझे बेहद खुशी होती है जब अच्छे-अच्छे ढोलक वादक कहते हैं कि तुम हूबहू बजाते हो और हमसे बेहतर बजाते हो। पिछले सात-आठ साल से गले से वाद्य यंत्र बजा रहा हूं लेकिन आज तक मुकम्मल मुकाम हासिल नहीं हुआ है। अब चाहता हूं कि मुकम्मल मुकाम हासिल करूं। इसी उम्मीद और शौक से गाने-बजाने का काम करता हूं। मुझे भगवान से गिफ्ट मिला हुआ है।

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