
बीकानेर,बीकानेर में होली की धुलंडी पर एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु का स्वरूप धारण किए हर्ष जाति का एक अविवाहित युवक भव्य बरात निकालता है। हालांकि, इस बरात में दुल्हन नहीं होती, लेकिन फिर भी शादी जैसा माहौल और उत्साह हर तरफ नजर आता है। इस साल की बरात का विवरण: इस वर्ष ऋषि हर्ष ने विष्णुरूपी दूल्हे का रूप धारण किया और मोहता चौक से भव्य बरात निकाली। बैंड-बाजे, शंखध्वनि और झालर की आवाज के बीच बरात ने शहर के 13 प्रमुख मकानों का दौरा किया। जिन घरों के आगे दूल्हा पहुंचा, वहां महिलाओं ने ‘पोखने’ की रस्म निभाई और मांगलिक गीत गाए। सदियों पुरानी परंपरा: इतिहासकार मुकेश हर्ष के अनुसार यह परंपरा पिछले 300 वर्षों से चली आ रही है। जिस मार्ग से यह बरात गुजरती है, वहां का पूरा माहौल विवाह जैसा बन जाता है। बिना फेरों और दुल्हन के यह बरात अनोखी, लेकिन उल्लास से भरी होती है। सामाजिक समरसता का प्रतीक: यह परंपरा केवल धार्मिक आस्था नहीं है, बल्कि सामाजिक प्रेम, सद्भाव और एकता का प्रतीक भी है। इस आयोजन में हर जाति और समाज के लोग सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। यह बीकानेर की सांस्कृतिक विरासत का एक अद्वितीय उदाहरण है।इस अनोखी परंपरा का हर साल बेसब्री से इंतजार किया जाता है, जो न केवल बीकानेर की विशिष्ट पहचान है, बल्कि लोक संस्कृति की समृद्धता का प्रमाण भी है।