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बीकानेर,संस्कृत भाषा और उसके नियमों पर एम. एस. महाविद्यालय के डॉ. उज्ज्वल गोस्वामी का राजकीय डूँगर महाविद्यालय के संस्कृत विभाग में द्विदिवसीय व्याख्यान हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ.जी.पी.सिह ने विद्यार्थियों को आह्वान करते हुए कहा कि आप सभी को उत्साहपूर्वक विशिष्ट व्याख्यानों में भाग लेना चाहिए, क्योंकि उसके माध्यम से आप गंभीर विषयों को सुगमता से समझ सकते हैं। व्यक्तित्व विकास के लिए भी आपको इस प्रकार के कार्यक्रमों में सम्मिलित होना चाहिए। संस्कृत व्याकरण का ज्ञान आपके अभिव्यक्ति कौशल को बढ़ाएगा। डॉक्टर उज्ज्वल गोस्वामी ने पाणिनीय व्याकरण में संज्ञा प्रकरण विषयक विभिन्न सूत्रों का तथा कृदंत प्रक्रिया का पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुतीकरण किया, जो विद्यार्थियों के लिए अत्यन्त रुचिकर रहा। आपने बताया कि संपूर्ण व्याकरण में संज्ञाओं का विशेष महत्त्व है, अतः इसका ज्ञान सभी संस्कृत अनुरागियों के लिए आवश्यक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ नंदिता सिंघवी ने बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति को समृद्ध बनाने में इस भाषा का अतुलनीय योगदान है। यह भाषा जितनी प्राचीन है उतनी आधुनिक और वैज्ञानिक भी है। यह भाषा पूरी तरह से एक्यूरेट अर्थात् सटीक है। इसका कारण है इसकी शुद्धता। यह शुद्धता संस्कृत व्याकरण के कारण आयी। व्याकरण ने संस्कृत को स्थिर स्वरूप दिया जिससे यह निरंतर जीवित है। संस्कृत व्याकरण की परंपरा का आरंभ वेदों से हुआ है। अति प्राचीन होने पर भी संस्कृत में नित नये शब्दों को निर्मित करने की क्षमता है। कार्यक्रम के आरंभ में अनुराधा शर्मा और वर्षा शर्मा ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की।उपाचार्य डॉक्टर सतीश गुप्ता ने एवं संस्कृत विभाग के सदस्यों ने डॉ. गोस्वामी का शॉल ओढाकर और पुष्प भेंट कर अभिनंदन किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. केसरमल ने मंच संचालन किया तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डाॅ. विक्रमजीत ,डॉ. सोनू शिवा, डॉ. सरिता स्वामी, पूनम, सोनिया और हरीश आदि ने अपनी जिज्ञासाऍं और विचार प्रस्तुत किए।

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