












बीकानेर,फ्रेंड्स एकता संस्थान राजस्थान की तरफ से शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी हसरत के 98वें यौमे शहादत के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय समारोह के पहले दिन शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी ‘हसरत’ के कलाम का नगर के रचनाकारों द्वारा वाचन किया गया, साथ ही उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भी विस्तृत चर्चा की गई।
संस्थान अध्यक्ष वली मोहम्मद ग़ौरी ने बताया कि समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी और बिस्मिल ने सांप्रदायिक एकता का जो पैग़ाम दिया हमें आज उसी रास्ते पर चलते हुए साझा संस्कृति की रक्षा करना ज़रूरी है। आपने कहा कि फ्रेंड्स एकता संस्थान अकेली ऐसी संस्था है जो किसी शहीद को याद कर रही है।
समारोह के मुख्य अतिथि शाइर इरशाद अज़ीज़ ने कहा कि शहीद हमेशा लोगों के दिल में ज़िंदा रहते हैं। यह हर हिंदुस्तानी का फ़र्ज़ है कि हम शहीद के परिवारजनों का भी ध्यान रक्खें। आपने संस्थान के जज़्बे की कद्र करते हुए कहा कि संस्थान ने शहीदों की कुर्बानी को याद करके देशवासियों के अंदर देशभक्ति के जज्बे का प्रचार प्रचार किया है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने कहा कि वे जब भी शहीदों की शहादत को याद करते हैं तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। शहीद अशफाक उल्ला खान वारसी हसरत में अपनी कुर्बानी से एक मिसाल पेश की। संस्थान ने शहीदों की याद में जो कार्यक्रम रखा इस प्रयास के लिए संस्थान की जितनी तारीफ़ की जाए वह कम होगी।
मुफ्ती अशफाक उल्ला गौरी मंज़री ने शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी ‘हसरत’ हसरत के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि जो जवान होते हैं वही ज़माने को बदलते हैं और बुजुर्ग उनको राह दिखाते हैं। अशफ़ाक़ उल्लाह वारसी एक ऐसे दिलेर जवान थे जिन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को गले लगा लिया था। उनकी शहादत से प्रेरणा लेकर हमें देश के लिए हर तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
कार्यक्रम समन्वयक कमल रंगा ने इस तीन दिवसीय समारोह की प्रासंगिकता पर विस्तृत टिप्पणी करते हुए कहा कि संस्थान पिछले दो दशकों से शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी ‘हसरत’ हसरत और अन्य शहीदों को याद करके उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि पेश कर रहा है। साथ ही प्रतिभाओं का सम्मान करके प्रतिभाओं की भी हौसला अफ़ज़ाई कर रहा है इसके लिए संस्थान को तहे दिल से साधुवाद प्रेषित है।
कार्यक्रम प्रभारी शाइर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी ‘हसरत’ की शहादत की कोई दूसरी मिसाल देखने को नहीं मिलती। उन्होंने नौजवानी की उम्र में ख़ुद को देश के लिए पूरी तरह से समर्पित करके देशवासियों में देशभक्ति की भावना जागृत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। संस्थान द्वारा ऐसे शहीद की याद में प्रतिवर्ष समारोह आयोजित करवाना एक उल्लेखनीय पहल है जिसकी जितनी सराहना की जाए वह कम होगी।
वरिष्ठ कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने स्वागत उद्बोधन देते हुए संस्थान की तारीफ़ करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन अति आवश्यक है जिससे देशभक्ति की भावना के साथ-साथ कौमी एकता की जड़े भी मजबूत होती है। वर्तमान समय में इस तरह के आयोजन होना बहुत ज़रूरी है जिससे वर्तमान पीढ़ी को भी उन शहीदों के जीवन के बारे में जानने और उनके बताए रास्ते पर चलने की प्रेरणा हासिल हो।
कार्यक्रम में मनीषा आर्य सोनी, क़ासिम बीकानेरी, सागर सिद्दीक़ी और मोहम्मद मुईन ने शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां का कलाम पेश करके श्रोताओं को वाह वाह कहने पर मजबूर कर दिया। समस्त श्रोताओं ने शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी ‘हसरत’ के कलाम को भरपूर पसंद किया और कलाम पेश करने वाले तमाम रचनाकारों को ख़ूब दाद दी।
समारोह में राजेश मोहता(जोधपुर),मधुरिमा सिंह, अब्दुल शकूर बीकाणवी, प्रोफ़ेसर डॉ.नृसिंह बिन्नानी, सौरभ कश्यप,शमीम अहमद ‘शमीम’ ,इंद्रा व्यास एवं राजाराम स्वर्णकार ने अपने विचार पेश किए और शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
समारोह में डॉ.अजय जोशी, गिरिराज पारीक,हरिकृष्ण व्यास, एडवोकेट गंगा बिशन बिश्नोई ‘ब्रह्मा’, मोहम्मद जावेद,शिव प्रकाश शर्मा, एन.के. आचार्य, महबूब अली महबूब, साहिल सहित अनेक प्रबुद्धजन मौजूद थे। संस्थान की तरफ से समस्त अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। अंत में आभार संस्कृतिकर्मी डॉ.मोहम्मद फ़ारुक़ चौहान ने ज्ञापित किया।
