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बीकानेर,नई सरकार बन गई। उम्मीदे भी बढ़ गई। नयें मुख्यमंत्री जी का नाम भी आजकल में सामने आ जायेगा। अब नई सरकार जनता की कसौटी पर खरी कैसे उतरे , यह देखना होगा। बेहतर हो, एक और तो अशोक गहलोत सरकार की योजनाये यथावत रखी जाये , उसमें अगर सुधार की आवश्यकता हैं तो अवश्य किए जाए। बेरोक़गारी दूर करने का प्रयास हों, बिगड़ी हुई क़ानून व्यवस्था में सुधार हों। महिलाओं के साथ होने वाले दुष्कर्मों पर सख़्त से सख़्त सजा हो, पेपर लीक करने व नक़ल करने वॉलो के घरों पर बुलडोज़र चलाये जाये। विधायक बालकनाथ ने ठीक ही कहा हैं कि अब गुण्डो, अपराधियों, को राजस्थान छोड़ देना चाहिए।प्रदेश में अमन, चेन भाईचारा बनाए रखने के प्रयास हो,। सरकार विकास कार्यों में जुट जाये और विपक्ष उनकी कमियों को उजागर करे। साथ ही व्यक्तिगत और निजी आरोपों से बचे। भृष्ट अधिकारियो और कर्मचारियों पर शिकंजा कसा जाए। आय से अधिक संपतियों को सीज किया जाये। हवाला, सट्टा, वायदा बज़ारो को बंद किया जाये। महंगाई को नियंत्रित किया जाये। निक्कमे और कामचोर कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाये। डाक्टरों की सम्पतियों की जाँच हो। कुछ ऐसे कदम उठाए जाये कि राजस्थान प्रदेश को देश में अपना एक नया मुक़ाम हासिल हो। दूसरी और हमारे शहर बीकानेर का सवाल हैं वह समस्याओं की सरांध से दम तोड़ रहा हैं। अब बीकानेर के दोनों विधायक जेठानन्द व्यास और सिद्धि कुमारी एक्शन मोड़ पर आये हैं हालाँकि जेठानंद राजनीति के क्षेत्र में नये हैं। फिर भी उन्होंने बीकानेर के विकास के लिए कुछ करने का सोचा हैं। वह उत्साही और जोशीले है और कुछ करने के लिए कटिबद्ध हैं। उन्होंने बिरजू- भा- नाले को दूरस्थ कराने के लिए निरीक्षण कर संबंधित आधिकारियो को निर्देश दिये भी हैं। इधर सिद्धि कुमारी ने भी सुरसागर का निरीक्षण कर सुधार हेतु अधिकारियों को कहा हैं। लेकिन दोनों विधायकों ने अभी तक शहर के बीचो- बीच दिन में २४ बार बन्द होते रेल फाटक की समस्या के समाधान पर अभी कुछ नहीं बोला हैं। जेठानन्द जी तो नये हैं लेकिन सिद्धि कुमारी इस समस्या से पूरी तरह वाक़िफ़ हैं। चार बार विधायक होते हुए भी इस समस्या के निदान के लिये उन्होंने मन से कोई प्रयत्न नहीं किया। उनके कार्यकाल में और भी कोई ऐसा कार्य नहीं हुआ कि उन्हें याद किया जा सके। मसलन पीबीएम अस्पताल की अव्यवस्था, टूटी- फूटी सड़के, दुखदाई सीवरेज, उजड़ते पार्क, देख लेवे । अवैध खनन, पोटाश खनन, ड्राई पोर्ट, एयर पोर्ट विस्तार, सोलर हब जैसे प्रोजेक्टों पर वह कभी नहीं बोली। और तो और वह बीकानेर नगर में एक सिटी बस तक नहीं चला सकी। वह मोदी जी के कारण जीत तो गई। लेकिन लोगो के दिलो में वह अभी तक नहीं बस पाई। शायद अब पूर्वजों से महाराजा गंगासिंह जी, सादुलसिंह जी दादाजी डॉ. करनी सिंह जी से प्रेरणा लेकर या फिर मोदी जी के किसी मन्त्र से अभिभूत होकर बीकानेर के विकास में जुट जाए तो शायद उन्हीं की तरह इतिहास में नाम अमर हो जाये। इसके लिए उन्हें ईश्वर शक्ति देवे। यही ईश्वर से प्रार्थना हैं।

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