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बीकानेर,द्वारका पीठाधीश्वर शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज सोमवार सुबह 11.30 बजे नाल एयरपोर्ट पर विशेष विमान से पहुंचे। वे यहां सनातन धर्म रक्षा मंच के बैनर तले जंगलेश्वर महादेव मंदिर में हो रहे 108 कुंडीय गौरीशंकर महायज्ञ और भागवत कथा में भाग लेने आए हैं। शंकराचार्य तीन दिन बीकानेर में रहेंगे। वे मंगलवार को नोखा के मूलवास में भामाशाह नरसी कुलरिया के यहां पहुंचेंगे। सोमवार को सुबह बीकानेर पहुंचने पर जगदगुरू शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज का नाल एयरपोर्ट पर आचार्य बजरंगदास महाराज, पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला, सुरेन्द्रसिंह राजपुरोहित, विवेक शर्मा, कमल कल्ला, भागीरथ कुमावत, डॉ. गुंजन सोनी, अशोक मोदी, सीताराम कच्छावा आदि ने स्वागत किया। नाल एयरपोर्ट से शंकराचार्य सीधे कार्यक्रम स्थल गोपेश्वर बस्ती के जंगलेश्वर महादेव मंदिर परिसर पहुंचे। जहां पर अशोक मोदी ने महाराज के चरण पादुका का पूजन करवाया। वहीं दूसरी ओर 108 कुंडीय गौरीशंकर महायज्ञ में लोगों ने सोमवार को सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक गौरी और शंकर महामंत्र की आहुतियां दीं। यहां 115 वेदपाठी ब्राह्मणों ने हवन में आहुतियां दिलवाई। वहीं बालाजी धाम के आचार्य बजरंगदास महाराज ने भागवत कथा में भागवत कथा स्मरण को भव सागर पार करने का सबसे सरल बताया। मंगलवार सुबह 11 बजे शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज नोखा के मूलवास में नरसी विला जाएंगे। जहां पर उनकी चरण पादुका का पूजन होगा। इस मौके पर धर्मसभा भी होगी। द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्यस्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने सोमवार शाम को बीकानेर नगर का भ्रमण किया। शंकराचार्य का नगर भ्रमण जूनागढ़ से शाम को 6 बजे रवाना हुआ। नगर भ्रमण में रथ, ढोल, बैंडबाजे, डीजे, ऊंट, घोड़े के साथ नगर भ्रमण यात्रा जूनागढ़ से रवाना होकर जंगलेश्वर महादेव मंदिर पहुंची। करीब ढाई घंटे तक शंकराचार्य ने शहर के 6 किमी एरिया में भ्रमण किया। नगर भ्रमण यात्रा जूनागढ़ के गणेश मंदिर से शुरू होकर केईएम रोड, कोटगेट, दाऊजी मंदिर, सोनगिरी कुआं, डागा चौक, जस्सूसर गेट, नयाशहर थाना, धर्मनगर द्वार, गोकुल सर्किल, नत्थूसर गेट, शीतला गेट, मोहता सराय, आचार्यों की बगेची, भादाणी तलाई होते हुए जंगलेश्वर महादेव मंदिर पहुंची। नगर भ्रमण के दौरान जगह जगह पर शंकराचार्य महाराज पर पुष्प वर्षा कर आशीर्वाद लिया। इस दौरान कई दर्जन गाडिय़ों में सवार लोग सनातन धर्म के जैकारे लगा रहे थे। शंकराचार्य के साथ हंसानाथ महाराज मूंडसर भी शंकराचार्य के साथ रहे।

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