बीकानेर,अलग अलग दिन सम्वत्सरी मनाने वाले लोग सामूहिक रूप से क्षमायाचना करते हैं, यह इस युग की अच्छाई का प्रतीक है। यह बात साध्वी श्री शशि रेखा जी ने तेरापंथ भवन में जैन महासभा द्वारा आयोजित समग्र जैन समाज के सामूहिक क्षमतक्षामना एवं तप अभिनन्दन समारोह को सम्बोधित करते हुए कही।उन्होंने कहा कि क्षमा मित्रता की मंगल ध्वनि है। मैत्री के लिए चाहिए नम्रता एवं उदारता। खमत खामणा की प्रक्रिया बताते हुए साध्वीश्री ने कहा कि मन की मलिनता, वाणी की वक्रता और काया की कुटिलता त्यागें।साध्वी श्री ने कहा की तपस्या का क्रम तीर्थंकरों से लेकर अभी तक चल रहा है। तपस्वियों का अभिनन्दन व अनुमोदना करना बहु बड़ी बात है। उन्होंने ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी ने संवत्सरी को एक ही दिन करने के लिए मिठाई का त्याग कर दिया था।
समारोह को संबोधित करते हुए शांत क्रांति संघ बीकानेर से पधारी साध्वी श्री साधना श्री जी ने कहा कि भगवान महावीर का संदेश है कि हमें उन व्यक्तियों से क्षमा मांगनी चाहिए जिनसे हमारा वैर विरोध हो परन्तु हम उन लोगों से क्षमा मांग लेते है जिनसे हमारा कोई वैर विरोध नही होता, यह सही मायने में क्षमायाचना नही होती है। उन्होंने कहा की क्षमा से मैत्री भाव का विकास होता है। किसी भी जीव के प्रति मन में शत्रुता का भाव न रखें। चाहे एकेन्द्रिय से लेकर पन्चेन्द्रिय कोई भी जीव हो।
अरिहंतमार्गी जैन श्रावक संघ की साध्वी श्री अनुपम श्री जी ने कहा कि जैन एकता के लिए और अधिक प्रयास करने व प्रमोद भावना बढ़ाने की आवश्यकता है। साध्वी श्री जी ने कहा कि हम सभी एक दूसरे के अच्छे कार्यों को देखें व कमियों को सुधारने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी प्राणी हमारे मित्र है। प्यार दिमाग से नहीं दिल से करें। सास बहु के रिश्तों पर अपने सन्देश में कहा की जिसकी कोख में मेरा सुहाग पला वह मेरे लिए भगवान है , यह भावना बहु में होगी तो सास – बहु के रिश्ते में दिल से प्यार होगा।
सम्पूर्ण जीवन का कायाकल्प हो सकता है।
जैन महासभा के प्रथम अध्यक्ष विजय कोचर ने इस अवसर पर कहा कि क्षमत क्षामना समारोह की सार्थकता तभी है जब हम न की गांठे खोलें। दूसरे क्या कर रहें है, यह ख्याल रहता है परन्तु हम क्या कर रहे है यह ख्याल नहीं रहता है। उन्होंने जैन महासभा की गतिविधियों के बारे में बताते हुए कहा कि विनोद जी बाफणा ने अध्यक्ष बनते ही शिव वैली में जैन महासभा का नया कार्यालय बनाकर शुभारम्भ कर दिया है। इस वर्ष जरूरतमंद बच्चों के फीस के लिए सहयोग राशि 39 लाख रुपयों की भराये जाने की व्यवस्था की गयी है जो एक नया रेकार्ड है। कोचर ने समाज के हर व्यक्ति से कहा की अपनी आय का कुछ हिस्सा समाज सेवा में लगाए। उन्होंने प्रतिभा सम्मान समारोह इस वर्ष आयोजित करने तथा वर्षीतप करने वाले तपस्वियों का अभिनन्दन समारोह आयोजित करने की योजना बताई।
तेरापंथी सभा बीकानेर से श्रीमती दीपिका बोथरा, अरिहंत मार्गी जैन महासंघ के पूनम चंद सुराणा , श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ से इन्दर मल सुराणा , साधुमार्गी जैन श्रावक संघ बीकानेर की तरफ से प्रीति डागा ने भी अपने अपने संघों की तरफ से क्षमतक्षामना करते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला। समारोह का शुभारम्भ साध्वीवृंद द्वारा नवकार महामंत्र के पाठ से हुआ। मंगलाचरण करते हुए जैन महासभा महिला मंडल ने मधुर संगान किया। स्वागत भाषण जैन महासभा के अध्यक्ष विनोद बाफणा ने किया।
पूर्व अध्यक्ष चम्पक मल सुराणा ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुंह से निकला शब्द वापस नहीं आ सकता। गलती करके क्षमा मांगने की अपेक्षा मन, वचन कर्म से ऐसा कोई कार्य न हो जिससे किसी के दिल को ठेस पंहुचे, एसा विवेक जागृत होना चाहिए। सुराणा ने कहा कि सामूहिक क्षमापना दिवस मनाने की परम्परा को सम्पूर्ण जैन समाज ने बीकानेर जैन महासभा की परम्परा को मान्यता दी है।इसके लिए सभी का आभार।
133 व्यक्तियों का अभिनन्दन
समारोह में 8 से 40 दिनों तक की तपस्या करने वालों 133 व्यक्तियों का अभिनन्दन करते हुए विनोद बाफना , कन्हैयालाल बोथरा ,दिलीप कातेला , एडवोकेट महेन्द्र जैन , मनोज सेठिया , इन्दर चन्द सेठिया , धनराज गुलगुलिया एवं सभी भामाशाह व प्रीतिडागा, कंचन छलाणी , संतोष बोथरा , सुनीता बाफना , शांता भूरा , अंजु बोथरा इत्यादि अनेक गणमान्य व्यक्तियों द्वारा तपस्वीजनों को अभिनन्दन पत्र, स्मृति चिन्ह एवं शॉल आदि भेंट करके उनके तप कि अनुमोदना की । इस वर्ष 40 की तपस्या करने वाले सुरेश बाफणा , बज्जू भी समारोह में उपस्थित हुए।
समारोह को सान्निध्य प्रदान कर रहे मुनिश्री श्रेयांश कुमार जी ने गीतिका का संगान करके क्षमा व तप की महत्ता बताई। मुनिश्री विमलविहारी जी ने भी पुरे कार्यक्रम में सानिध्य प्रदान किया तथा मुनि श्रेयांश कुमार जी ने मगल पाठ सुनाया। समारोह का सफल संचालन संगठन मंत्री जतनलाल संचेती ने किया। समारोह में सम्पूर्ण जैन समाज की उपस्थिति कार्यक्रम की सफलता का परिचायक थी।