
बीकानेर,रांका परिवार की सुश्राविका रचना रांका द्वारा मासखमण तप करने पर शनिवार को भीनासर के तेरापंथ भवन में तप की अनुमोदना कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आचार्यश्री महाश्रमणजी के आशीर्वाद व साध्वीश्री जिनबालाजी एवं साध्वीश्री करुणाप्रभाजी की प्रेरणा से मनीष रांका की धर्मपत्नी तथा सूरजमल-विमला देवी रांका की पुत्रवधू रचना रांका ने मासखमण तप किया। तपाभिनंदन समारोह को सम्बोधित करते हुए महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वीश्री जिनबालाजी ने कहा कि मैंने जिस परिवार में जन्म लिया है उसी रांका परिवार में पहली बार मासखमण तप रचना रांका ने किया है। इसके साथ ही भीनासर के इस चातुर्मास में भी प्रथम मासखमण तप रचना रांका द्वारा किया जाना वाकई गौरव की बात है। रचना ने मासखमण तप से पहले कई बेले, तेले, नौ, ग्यारह व पन्द्रह दिनों के तप की साधना भी की है। साध्वीश्री जिनबालाजी ने कहा कि रांका परिवार तप और धर्म के मार्ग में सदैव अग्रणी रहा है। सुश्राविका सूरजदेवी रांका के वर्तमान में नवमा वर्षीतप और विमला देवी रांका के पांचवां वर्षीतप चल रहा है। तप अनुमोदन समारोह में रचना की (ननद महाराज) साध्वीश्री करुणाप्रभाजी ने कहा कि इतने बड़े तप में देव गुरु धर्म की शक्ति ही साथ देती है। परिवार का सहयोग एवं स्वयं के तीव्र मनोबल से ही ऐसी तपस्या सफल हो सकती है। साध्वीश्री भव्यप्रभाजी ने कहा कि यह तपस्या गुरुदेव की कृपा व मजबूत संकल्प से ही सफल हो सकी है। समाजसेवी हनुमानमल रांका ने बताया कि तपस्वी रचना रांका की तप अनुमोदना तप द्वारा की जा रही है, यानि तप का अभिनंदन तप करके ही किया जा रहा है। रचना रांका के पति मनीष रांका ने तप की अनुमोदना हेतु 51 तेले, 2 चोले, 2 पंचोले तप करने वाले श्रावक-श्राविकाओं की सूची साध्वीश्री को समर्पित की। समारोह में श्रमणीगण शिरोमणी साध्वी प्रमुखाश्रीजी के मंगल संदेश का वाचन तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष सुमति पुगलिया ने किया। सभा द्वारा स्मृति चिह्न, महिला मंडल द्वारा साहित्य प्रदान कर रचना की तपस्या का अभिनंदन किया गया। समारोह में महिला मंडल, कन्या मंडल, युवक परिषद आदि द्वारा गीतिकाएं प्रस्तुत कर रचना रांका के मासखमण तप की अनुमोदना की गई। सभाकी ओर से पानमल डागा ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा कार्यक्रम का संचालन सभा के मंत्री चैनप्रकाश गौलछा ने किया।