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बीकानेर,बीकानेर में गर्मी के मौसम में भी रातें ठंडी होती हैं और सुदूर अंचलों में रेतीले तटों पर बिखरी चांदनी देशी-विदेशी पर्यटकों को खूब भाती है। सर्दियों में पर्यटक इस नजारे का खूब लुत्फ उठाते हैं।प्रशासन ने नापासर और कोलायत में ईको टूरिज्म को आधार बनाकर बड़ी योजना बनाई है। वर्षों से बीकानेर में एक अच्छे पर्यटन स्थल की मांग की जा रही है जहां स्थानीय लोग परिवार के साथ आनंद ले सकें। इसके अलावा बीकानेर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को बिना भ्रमण किये स्थाई पर्यटन स्थल मिलें जिससे उनका भ्रमण अधूरा माना जायेगा। इसके लिए सबसे अच्छा डेस्टिनेशन बीकानेर के रेतीले समुद्र तट हैं, जो पर्यटकों, खासकर विदेशी पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं, फिर चाहे सर्दी हो या गर्मी।

प्रशासन ने कोलायत व नपासर में वन विभाग की जमीन पर ईको टूरिज्म का भी आधार बनाकर योजना तैयार की है। कोलायत में कपिल मुनि सरोवर धार्मिक स्थल होने के कारण वहां देशी-विदेशी पर्यटक हमेशा पहुंचते हैं। ऐसे में प्रशासन ने वहां पर्यटन स्थल विकसित करना ज्यादा मुनासिब समझा है। दूसरी ओर नापासर क्षेत्र में जैसलमेर से भी ऊँचे और चौड़े रेतीले तट हैं, जहाँ राजस्थानी गीत-संगीत के आनंद के साथ झोपड़ी में रात बिताने का मजा ही कुछ और है। प्रशासन ने कोलायत में 344.615 हेक्टेयर और नापासर में 1015.42 हेक्टेयर क्षेत्र में इको-टूरिज्म विकसित करने का निर्णय लिया है। दोनों ही जगहों पर वन विभाग की जमीन पर पर्यटन पनपेगा। इसके लिए वन विभाग ने योजना तैयार की है, जिस पर कलेक्टर की सहमति मिल गई है।

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