बीकानेर,साहित्य अकादमी की ओर से दिया जाने वाला प्रतिष्ठित अनुवाद शनिवार को पणजी, गोवा में आयोजित साहित्य समारोह में डॉ. मदन गोपाल लढ़ा को अर्पित किया गया। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के अन्तर्गत आने वाली केंद्रीय साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव के अनुसार साहित्य अकादमी की ओर से वर्ष 2022 के लिए राजस्थानी भाषा का अनुवाद पुरस्कार मदन गोपाल लढ़ा द्वारा अनूदित कृति अखूट तासळो पर दिया गया। सम्मान समारोह का आयोजन पणजी, गोवा स्थित मेनजैस ब्रांजान संस्थान में नामी कौंकणी लेखक दामोदर मोजो की मुख्य आतिथ्य और साहित्य अकादमी अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता में किया गया। रविवार को अकादमी उपाध्यक्ष प्रो. कुसुम शर्मा की अध्यक्षता में अनुवादक सम्मिलन समारोह आयोजित किया गया जिसमें डॉ मदन गोपाल लढ़ा गुजराती से राजस्थानी अनुवाद के संदर्भ में अपना वक्तव्य दिया। इस अवसर पर डॉ लढ़ा ने कहा की अनुवाद दो भाषाओं के मिस दो अलग अलग संस्कृतियों को परस्पर जोड़ता है। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसके लिए सतत साधना और समर्पण की ज़रूरत होती है। इस कार्यक्रम में राजस्थानी के साथ साहित्य अकादमी से स्वीकृत 23 अन्य भाषाओं के राष्ट्रीय स्तर के अनुवाद पुरस्कार भी दिए गए।
उल्लेखनीय है कि अखूट तासळो सुप्रसिद्ध गुजराती उपन्यासकार डॉ बिंदु भट्ट के बहुचर्चित गुजराती उपन्यास के अखेपातर का राजस्थानी अनुवाद है। यह पुस्तक साहित्य अकादमी के द्वारा वर्ष 2019 में प्रकाशित की गई थी। पुरस्कार के तहत पचास हजार रुपए की राशि और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
गौरतलब है कि मदन गोपाल लढ़ा राजस्थान की नई पीढ़ी के चर्चित लेखक हैं। उनकी राजस्थानी में बाल कथा संग्रह सपनै री सीख, दादीमा री लाडली, फाइव स्टार कहानी संग्रह च्यानण पख कविता संग्रह म्हारै पांती री चिंतावां, चीकणा दिन और अनुवाद विधा में तिणकला अर पांख्यां, अखूट तासळो प्रकाशित हो चुके हैं। हिंदी में डॉ लढ़ा के कविता संग्रह होना चाहता हूं जल, सुनो घग्घर कहानी संग्रह हरे रंग का मफलर बाल कथा संग्रह आंखों में आकाश तथा अनुवाद विधा में रक्त में घुली हुई भाषा प्रकाशित हो चुके हैं। इससे पूर्व उनको प्रेम जी प्रेम युवा सम्मान, किशोर कल्पनाकांत साहित्य सम्मान, रोटरी कथा पुरस्कार सहित अनेक मान सम्मान से नवाजा जा चुका है। नरेश मेहता की कविता पर भावनगर विश्वविद्यालय से शोध उपाधि प्राप्त डॉ मदन गोपाल लढ़ा महाजन, बीकानेर के मूल निवासी हैं और वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भैरूपुरा सीलवानी, श्रीगंगानगर में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं।