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बीकानेर। कोरोना से बचाने के लिए मरीजों को दी गई स्टॉयरायड की हैवी डोज के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। कई मरीजों में कूल्हे की हड्डी गल चुकी हैं, जिनका ऑपरेशन तक करना पड़ा है। पीबीएम अस्पताल के अस्थि रोग विभाग में कई मरीज आ रहे हैं,जिनकी कूल्हे की हड्डी गल गई और जो कोरोना से संक्रमित हुए और गंभीर हालत में होने पर उन्हें स्टॉरायड की हैवी डोज दी गई थी।

स्टॉरायड जरूरत से अधिक शरीर में जाने पर नुकसानदायक है। कोरोना में गंभीर स्थिति के मरीजें को बचाने के लिए स्टॉरायड दिया गया। अब इन लोगों में कूल्हे की हड्डी गलने की शिकायत हो रही है। मरीजों को जरूरत के हिसाब से वर्षों से स्टॉरायड दिया जा रहा हैै लेकिन कोरोना में सैकड़ों मरीजों की जान बचाने के लिए स्टॉरायड की हैवी डोज दी गई। अब उसके दुष्परिणााम सामने आने लगे हैं। स्टॉरायड के कारण एवस्कुलर नेक्रोसिस बनने लगता है, जिससे हड्डी में रक्त का प्रवाह बाधित या कम होता है। पीबीएम अस्पताल के अस्थि रोग विभाग में इस साल अब तक ३१ मरीज ऐसे रिपोर्ट है, जिनकी कूल्हे की हड्डी गल चुकी हैं। इनमें से १८ मरीजों का ऑपरेशन किया जा चुका हैं।

इस साल बढ़े मरीज
स्टॉरायड, शूगर, बीपी आदि के कारण हड्डी के रोग उत्पन्न होते हैं। पीबीएम अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो कूल्हे की हड्डी गलने के हर साल मामले बढ़ रहे हैं। वर्ष २०१८ में १०, वर्ष २०१९ में १२, वर्ष २०२० में पांच और वर्ष २०२१ में अब तक ३१ मरीज सामने आ चुके हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अब हड्डी गलने वाली बीमारी युवाओं में घर कर रही है। पहले यह बीमारी ४५ वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिल रही थी जबकि कोरोना के बाद से २५ की उम्र वाले भी इसकी चपेट में आ चुके हैं।

क्या है एवीएन
एवस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन) स्टॉरायड के अधिक सेवन से होता है, जिससे हड्डी में रक्त का प्रवाह बाधित या कम होता है। रक्त की आपूर्ति कम होने के कारण जोड़ या हड्डी का आघात होता है। इसके अलावा विकिरण से जुड़े कैंसर के उपचार भी हड्डी को कमजोर कर सकती हैं। रक्त वाहिकाओं में जमा फैट छोटी-सी रक्त वाहिकाओं को अवरद्ध कर सकता है, जिससे रक्त प्रवाह कम हो जाता है। रक्त की आपूर्ति में कमी के कारण अस्थि ऊतक की मृत्यु एवस्कुलर नेक्रोसिस है। इसे ऑस्टियोनेक्रोसिस भी कहा जाता है। यह हड्डी में छोटे ब्रेक और हड्डी के अंतिम पतन का कारण बन सकता है। स्टॉरायड दवाओं के सेवन से होता है।

अब तक ३१ का ऑपरेशन
कूल्हे की हड्डी खराब होने के मामलेे पहले से आते रहे हैं। यह बीमारी ४५ से अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिल रही थी लेकिन अब कोरोना के बाद २५ वर्ष के लोगों में भी हड्डी गलने की समस्या सामने आई है। अस्थि रोग विभाग में अब तक ३१ मरीज सामने आ चुके हैं, जिन्हें कोरोना से बचाने के लिए हैवी डोज स्टॉरायड दिया गया, जिससे उनके कूल्हे की हड्डी गल गई।
डॉ. बीएल खजोटिया, अस्थि रोग विश्ेाषज्ञ पीबीएम अस्पताल

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