Trending Now




बीकानेर,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीकानेर महानगर इकाई का वर्ष प्रतिपदा उत्सव चैत्र शुक्ल प्रतिपदा स्थानीय श्री जैन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नोखा रोड, बीकानेर में मनाया गया। पूर्ण गणवेष में स्वयंसेवकों ने भगवान शिवलिंग एवं त्रिशुल की रचना में बैठकर नया सम्वतसर मनाया। आज का अवसर संघ के सभी स्वयंसेवकों ने ध्वज लगने से पूर्व अपने प्रथम सरसंघचालक डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार को उनके जन्म दिवस पर उनको आद्य सरसंघचालक प्रणाम कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। इस अवसर पर घोष की धुन पर उनको याद किया। इस अवसर पर बीकानेर के विभाग संघचालक टेकचन्द बरडिया, महानगर संघचालक कन्हैया लाल पाण्डे उपस्थित हुए। आज इस विशेष अवसर पर योगेन्द्र कुमार प्रान्त प्रचारक जोधपुर प्रान्त का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। योगेन्द्र कुमार ने नव सम्वत्सर के अवसर को शुभ अवसर बताते हुए इस दिन के विभिन्न ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक प्रसंगों को याद किया। उन्होंने बताया कि विश्व की प्राचीनतम् कालगणना में से एक भारतीय काल गणना है। यह दिन सृष्टि का प्रथम दिन है, युगाब्द 5125 प्रारम्भ हुआ, जन जन के आराध्य भगवान श्रीराम के राज्यारोहण का दिन, न्यायशास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम, वरुणावतार सन्त श्री झुलेलाल, सिखों के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का अवतरण दिवस आर्य समाज की स्थापना का दिवस संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार का जन्म दिवस, विक्रमादित्य द्वारा प्रचलित वि. सम्वत् का प्रथम दिवस सहित कई विशेष अवसरों का प्रतीक है। शक्ति एवं भक्ति के प्रारम्भ चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस है। इस विशेष अवसर पर संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को याद करते हुए उनके जन्म से लेकर संघ स्थापना एवं उनके निर्वाण तक की घटनाओं का वर्णन किया। विशेष रूप से उनके प्रारम्भिक जीवन की घटनाएँ जिससे उनके जन्मजात देशभक्त होने का प्रमाण है, बताते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटेन की महारानी के राज्यारोहण को 60 वर्ष पूरे होने आयोजन में मिली मिठाई बालक केशव द्वारा कचरे में फेंकना, सम्पूर्ण विद्यालय के छात्रों को संगठित कर अंग्रेज निरीक्षक के सामने वन्देमातरम् का उद्घोष, सीताबर्डी के किले से इंग्लैंड का झंडा उतारने की योजना सहित उन्होनें कई ऐसे कार्य बचपन में ही किये। उनके जीवन में स्वतंत्रता प्राप्ति की ललक थी इसी कारण वे कलकता में मेडिकल की पढाई के दौरान क्रान्तिकारियों के दल, तत्पश्चात् कांग्रेस में सक्रिय भूमिका, दो बार कारावास की सजा भी मिली किन्तु वे रुके नहीं, सदैव आगे बढे । इन सब कार्यो को करते हुए विजयादशमी के दिन 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। अत्यधिक परिश्रम करने के कारण जून 1940 को उन्होंने मात्र 51 वर्ष की अल्पायु में ही इस नश्वर शरीर को त्याग दिया। उनके जीवन के अन्तिम दिनों में संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष में उस समय के सभी प्रान्तों का प्रतिनिधित्व देखकर उन्होंने कहा कि मैं आज लघु भारत के दर्शन कर रहा हूँ। राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत ऐसे महामानव ने हमें यह अभिनव पद्धति प्रदान की। श्री योगेन्द्र कुमान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 2025 में संघ के 100 वर्ष होने की दिशा में बढ़ते चरण पर ध्यानाकर्षण किया। सर्वत्र संघ कार्य की अभिवृद्धि दिखाई दे रही है। वर्तमान में 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएँ हो गई हैं। विश्व व्यापी हो गया। विश्व में 40 से अधिक देशों में संघ का कार्य हिन्दू स्वयंसेवक संघ के हमारा कार्य नाम से कार्य चल रहा है। श्री योगेन्द्र जी ने संघ की समाज में बढ़ती भूमिका को भी इंगित किया। संघ के माध्यम से समाज में चल रहे सेवा कार्यों, कोरोना काल में सेवा संगठनों की संघ से अपेक्षा में वृद्धि, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, समाज में चल रहे वैचारिक विमर्श एवं भारत विरोधी तत्वों द्वारा अपने देश में चलाये जा रहे नेरेटिव के विरूद्ध बढती जागरूकता समाज जागरण में बढती भूमिका के बारे में भी बताया।

अन्त में उन्होंने उत्सव में उपस्थित स्वयंसेवकों का आहवान किया कि हम सब सौभाग्यशाली है कि हम संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष के साक्षी हैं, संघ अपने 100 वर्ष पूर्ण होने पर कोई बड़े कार्यक्रम नहीं करेगा अपितु पांच कार्यों पर अपना विशेष ध्यान करेगा 1 कार्य विस्तार कार्य में गुणात्मक दृढीकरण, सज्जन शक्ति का जागरण समाज परिवर्तन एवं वैचारिक विमर्श के कार्य करेगा। स्वयंसेवक इन सब कार्यो के लिए अपने आपको तैयार करें और अधिक समय समर्पण की आवश्यकता पर बल दिया।

Author