बीकानेर,राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर मची रार और तेज हो गई है. राजधानी में हुई ब्राह्मण महापंचायत में सीएम फेस की रेस में एक और नाम का उदय हुआ.रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से पहले उन्हीं के जिले जोधपुर से आने वाले जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को 5 लाख की राजपूत सभा सीएम बनाने की मांग उठी थी. वसुंधरा राजे जब-तब शक्ति प्रदर्शन करके खुद को सीएम फेस के रूप में पेश करती रही हैं.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां हालांकि बार-बार कह चुके हैं कि विधानसभा चुनाव के लिए कोई सीएम फेस घोषित नहीं होगा, यह पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा. यह अलग बात है कि जाट पंचायत में पूनियां को भी सीएम फेस बनाने की पुरजोर मांग उठी थी.
कांग्रेस में भी गहलोत-सचिन में सीएम की रेस
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ही बड़े दलों को ग्रुपबाजी के बीच सीएम फेस के सियासी कदम का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस में तो मुख्य रूप से गहलोत और पायलट के दो ही खेमे हैं और दोनों ही सीएम फेस की रेस में हैं. हालांकि गहलोत ने हाल ही में बयान दिया है कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद हाईकमान करेगा. दूसरी ओर पायलट गुट इस शर्त पर एकजुटता दिखाने के मूड में नजर आ रहा है, जबकि चुनाव से पहले ही सचिन को सीएम फेस घोषित किया जाए.सीएम पद की दौड़ में शेखावत सबसे आगे
सीएम फेस की रेस का कांग्रेस से ज्यादा घमासान बीजेपी में दिखाई दे रहा है. क्योंकि पार्टी में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कई नेता शामिल हैं. पिछले साल करीब पांच लाख की राजपूत सभा ने जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का जोरदार स्वागत सीएम फेस के रूप में किया. वैसे भी केंद्रीय संगठन शेखावत को बड़े राजपूत नेता और सीएम फेस के रूप में ग्रूम कर रहा है. हालांकि खुद शेखावत करते हैं कि सभी को बीजेपी परंपरा पता है. सीएम का फैसला चुनाव के बाद बीजेपी का संसदीय बोर्ड ही करेगा. दूसरे राजपूत नेता के रूप में कुछ समर्थक सांसद दीया कुमारी का नाम आगे करते हैं, हालांकि इसकी संभावना नगण्य ही है.
ब्राह्मणों ने रेल मंत्री वैष्णव को किया प्रोजेक्ट
शेखावत की तरह जोधपुर से ही आने वाले रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव सीएम फेस की रेस में नए दावेदार के रूप में सामने आए हैं. राजधानी में जुटे समाज के लाखों लोगों ने मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरे के रूप में अश्विनी वैष्णव को प्रोजेक्ट किया. प्रदेश में पहले भी इस समाज से सीएम रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि शेखावत और वैष्णव दोनों ही जोधपुर संभाग से हैं और दोनों को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है. चुनावी साल में विप्र सेना के आह्वान पर पहली बार एक मंच पर आए ब्राहमणों की इतनी बड़ी जाजम के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.
जाट महाकुंभ में बीजेपी अध्यक्ष पूनियां बने दावेदार
इससे पहले जयपुर में पांच मार्च को हुए जाट महाकुंभ में भी जाट नेता को ही अगला सीएम बनाने की जोरदार मांग उठी थी. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के जाट नेताओं ने इस महाकुंभ में शिरकत की. जातीय जनगणना के साथ ही बीजेपी की ओर से सीएम फेस के लिए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां का नाम रणनीति के तहत उछाला गया. पूनियां के न सिर्फ कार्यकाल को विस्तार दिया गया है, बल्कि उनके नेतृत्व में प्रदेश भर में जन आक्रोश रैलियां भी निकाली जा चुकी हैं.
राजे ने हार नहीं मानी,शक्ति-प्रदर्शन से रेस में
पूर्व सीएम राजे धार्मिक यात्राओं और जन्मदिन के बहाने जब-तब सीएम फेस की रेस में बने रहने के लिए शक्ति प्रदर्शन करती रहती हैं. लेकिन हाईकमान से फिलहाल उन्हें ज्यादा तवज्जो मिलती नहीं दिखती. राजे जिस हाड़ौती क्षेत्र से चुनाव लड़ती हैं, उसी से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी आते हैं. बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि वह भी सीएम फेस बनने की गोटियां फिट करने में लगे हैं. क्योंकि राजस्थान में चुनाव के 5-6 माह बाद ही लोकसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में स्पीकर रहते हुए बीजेपी थिंक टैंक की नजदीकी का फायदा उठाने की जुगत में हैं.