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बीकानेर,प्रतिवर्ष 20 मार्च के दिन विश्व भर में “विश्व गौरैया दिवस” मनाया जाता है। विश्व भर में गौरैया पक्षी की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए तथा इनके संरक्षण में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।

प्रो.अनिल कुमार छंगाणी बताया कि एक वक्त था जब आमतौर पर घर और आंगन में क्या चहकती हुई चिड़ियों में गौरैया आसानी से दिखाई पड़ जाती थी, लेकिन वर्तमान में बढ़ते शहरीकरण और इनके घटते आवासों के चलते इनकी संख्या में कमी आई है।

विश्व गौरैया दिवस हर बार एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार विश्व गैरैया दिवस की थीम “इतिहास और महत्व” है। जिसके चलते हमें हमारे जैव विविधता संरक्षण के परंपरागत तरीकों पर ध्यान देना होगा। भारत और विश्व स्तर पर गौरैया पक्षी की संख्या में कमी आ रही है। हालांकि गौरैया की घटती संख्या के पीछे कहीं ना कहीं विकास की अंधी दौड़ में मानवीय गतिविधियां ही जिम्मेदार हैं।जिनके कारण यह प्रजाति देश के कई भागों में विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई है।

देश और दुनिया की तुलना में थार मरुस्थल और विशेषकर बीकानेर संभाग में आज भी गौरैया की स्थिति बेहतर है, और इसका मुख्य कारण यहां की सहजीवी परंपराएं और परंपरागत घरों का आर्किटेक्चर है। जिसमें पक्षियों व जीवों को समान रूप से घरों के आस पास सुरक्षित आवास प्रदान किए जाते हैं। और ह्यूमन सब्सिडी के रूप में हर घर चौगान, मंदिर और सार्वजनिक स्थलों पर गौरैया हेतु चुग्गा व पानी की व्यवस्था आज भी की जाती है।

प्रो.अनिल कुमार छंगाणी विभागाध्यक्ष,पर्यावरण विज्ञान विभाग,महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय,बीकानेर

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