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बीकानेर,स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के बीछवाल स्थित कृषि महाविद्यालय के उद्यान विभाग द्वारा युवा उद्यमियों को स्वरोजगार हेतु प्रेरित करने के उद्देश्य से “फलों एवं सब्जियों के कटाई उपरान्त प्रबंधन एवं मूल्य संवर्धन” विषय पर शनिवार से 7 दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया जिसमें राज्य के विभिन्न भागों से 40 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं | यह जानकारी देते हुए उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पी. के. यादव ने बताया कि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. अरुण कुमार का विजन है कि युवा केवल नौकरी की तलाश में ना रहे अपितु स्वयं उद्यमी बनकर रोजगार प्रदाता बने। इसी से प्रेरित होकर इस प्रशिक्षण का आयोजन रखा गया है। उदघाटन सत्र में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अधिष्ठाता डॉ. आई. पी. सिंह ने कहा कि हमारे देश में लगभग 6 से 16 प्रतिशत फल एवं सब्जियां उचित प्रबन्धन के अभाव में खराब हो जाती है तथा आज भी स्थानीय स्तर पर उनके प्रसंस्करण की इकाईयां स्थापित नहीं हो पाने के कारण किसानों को उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है ।विशिष्ट अतिथि सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. विमला डूंकवाल ने बताया कि राजस्थान में आंवला, खजूर, बेर, नींबू, किन्नू, संतरा, काचरी, सांगरी, कैर, टमाटर, ग्वारपाठा आदि का उत्पादन होता है परन्तु उनके मूल्य संवर्धन के अभाव में पूरा लाभ स्थानीय लोगो को नहीं मिल रहा जबकि उनके बने जैम, जैली, मुरब्बे, कैंडी, स्कवेश आदि की बाजार में मांग हैं अतः युवाओं के लिये इस क्षेत्र में प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार के अच्छे अवसर हैं। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आर. के. नारोलिया ने बताया कि सात दिवसीय प्रशिक्षण में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा फलों व सब्जियों की तुड़ाई, ढुलाई, भंडारण, मूल्य संवर्धन व बैंक लोनिग के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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