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बीकानेर,आज भी बीकानेर में रेलवे की ग्रीन बुक में बाईपास बनना शामिल नहीं है। ग्रीन बुक रेलवे योजना का अग्रिम दस्तावेज होता है। यह तब है जब केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री डा. बी.ड़ी.कल्ला कोटगेट में अंडर ब्रिज या ओवर ब्रिज का विरोध कर रहे थे और रेलवे बाईपास बनाने के लिए कांग्रेस और भाजपा के ये नेता एक मंच पर आ गए थे। तत्कालीन कलक्टर की अध्यक्षता में बैठक भी की। रेल मंत्री से मिलने का भी तय हुआ। सारी बातें फिस्स हो गई। अगर ये दोनों मेघवाल व कल्ला विरोध नहीं करते तो 2011 में डी आर एम मंजू गुप्ता की यूआईटी की प्रोजेक्ट अनुशंसा से 8 करोड़ की लागत अंडर ब्रिज बन चुका होता। तत्कालीन न्यास अध्यक्ष मकसूद ने प्रस्तावित अंडर ब्रिज के शहर में नौ स्थानों पर मॉडल रखे थे। रेल बाईपास की राजनीति करने वाले नेताओं ने योजना को आगे नहीं बढ़ने दिया। कल्ला, अर्जुन राम, आर के दास गुप्ता और कुछ व्यापारियों के विरोध के चलते बीकानेर की जनता परेशानी झेल रही है। हमारे जनप्रतिनिधि बीकानेर के हित की कैसी राजनीति कर रहे हैं? केंद्रीय मंत्री और राजस्थान के कैबिनेट मंत्री की पॉलिटिकल स्किल कैसी है जनता समझ सकती है। अपनी सरकार के होते खुद के उठाए मुद्दे पर केंद्र के मंत्री मेघवाल और राजस्थान के मंत्री कल्ला कुछ नहीं कर पाए। कल्ला जी, मेघवाल साहब अंडर ब्रिज स्वीकृत हुआ है आप तो दो दशक से कह रहे हैं रेलवे बाईपास ही बनाएंगे। अंडर ब्रिज हरगिज नहीं बनने देंगे। आपके कारण फर्क इतना ही है कि डेढ़ दशक पहले होने वाला रेलवे क्रासिंग की समस्या का समाधान अब होना है। और आपकी बात को ताक पर रखकर किया जाना है। लागत 8 करोड़ की जगह 35 करोड़ आनी है। क्या आप ऐसे ही करते हैं जनहित में राजनीति ? मुद्दा जनहित में उठाया था या कोई स्वार्थ की राजनीति तो नहीं की ना? खैर अब कल्ला तो कहने लग गए कि उनके प्रयासों से दशकों से लम्बित समस्या का अंडर ब्रिज बनने से समाधान होगा। कैसी विडंबना है कल्ला जी? रेलवे बाईपास नहीं बनाओगे? अर्जुन राम मेघवाल और कल्ला साहब अब इस मुद्दे पर अपनी कही बात को लेकर जनता को कैसे मुंह दिखाएंगे?इन नेताओं को अगर अंडर ब्रिज बन गया तो नीचे से निकलना कैसा लगेगा। सोचो जरा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में वित्त एवं विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान बीकानेर शहर में सांखला फाटक रेलवे क्रासिंग के समीप रेलवे अंडरपास और कोटगेट रेलवे फाटक पर रेलवे अंडर ब्रिज निर्माण की घोषणा की है। क्या विरोध करने वाले नेता इसे मंजूर करेंगे। घोषणा में 35 करोड़ की लागत से सांखला फाटक रेलवे क्रॉसिंग के पास रेलवे अंडरपास और कोटगेट रेलवे फाटक पर रेलवे अंडर ब्रिज का निर्माण किया जाना है। हो सकता है यह भी वसुंधरा राजे की एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट की तरह अगले चुनाव में वोटों का स्टंट मात्र हो?

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