बीकानेर,सीएम अशोक गहलोत की सख्ती के बाद बीकानेर शहर के शराब ठेकों पर तो रात आठ बजे बाद शराब की बिक्री पर रोक लग गई है लेकिन जिले के ग्रामीण अंचल में नियमों को ताक पर रखकर शराब ठेेकों पर शराबबेची जा रही है। आबकारी व पुलिस विभाग को सब मालूम होते हुए भी आंख मूंदकर अनदेखी की जा रही है। ऐसे में शराब ठेकेदारों के हौंसलेे बुलंद हैं। लाइसेंसशुदा एक दुकान की आड़ में हर जगह पांच-सात ब्रांच चलना सामान्य बात हो चुकी है। आलम यह है कि ठेकेदारों ने ड्राई ग्राम पंचायतों को भी नहीं छोड़ा हैं। वहां ब्रांच संचालित की जा रही है। जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग द्वारा स्वीकृत शराब की दुकानों पर बाकायदा रेट लिस्ट चस्पा करना अनिवार्य है। परन्तु ग्रामीण अचंलों में संचालित ठेकों पर रेट लिस्ट नहीं है। ठेकेदार के कारिंदे नियमों को ठेंगा दिखाकर मनमाने रेट वसूलते है। रेट को लेकर कई बार ग्राहक माथापच्ची भीकरते है परन्तु कहीं भी सुनवाई नहीं होती। इन ठेकों पर रात आठ बजे दुकान बन्द करने के आदेश भी लागू नहीं होते। कई दुकानों पर मुख्य शटर बन्द कर पीछे की खिडक़ी से सरेआम रातभर शराब बेची जाती है। जिले के श्रीडूंगरगढ़,नोखा,श्रीकोलायत,लूणकरणसर और महाजन कस्बे में तो सरेआम नियमों को धता बताकर अवैध ब्रांच चल रही है।
मयखानों में तब्दील होटले और ढ़ाबे
जानकारी के अनुसार श्रीडूंगरगढ़,नोखा,श्रीकोलायत,लूणकरणसर,महाजन,अरजनसर में आबकारी व पुलिस की नाक के नीचे राजमार्ग संख्या पर संचालित अधिकांश होटल व ढाबों पर मयखाने खुल चुके है। होटलों पर सभी ब्राण्ड की शराब हर समय ग्राहकों को उपलब्ध करवाई जाती है। रात के समय राजमार्ग से गुजरने वाले वाहन चालकइन होटलों पर शराब पीकर वाहन चलाते है जिससेे हादसों का ग्राफ बढ़ रहा है। गांवों में स्वीकृत एक दुकान की आड़ में चार-पांच अवैध ब्रांच चलती है। राजस्व का नुकसान होने के बाद भी आबकारी व पुलिस प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। मजेदार बात यह है कि ठेकों पर रेट लिस्ट नहीं होने, अंकित मूल्य से अधिक वसूलने, अवैध ब्रांचे खोलने सहित कई शिकायतें आबकारी विभाग के पास लोगों द्वारा दर्ज करवाई जाती है परन्तु कार्यवाही के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है। क्षेत्र के गांवों में मंदिर, स्कूल व अन्य स्थानों के आसपास धड़ल्ले से अवैध ब्रांचें संचालित हो रही है।