बीकानेर, मुंबई में आयोजित हुए सारस्वत सम्मेलन में सारस्वत ब्राह्मण समाज के मौजीज बंधु शामिल हुए, यह समाज के वरिष्ठ बंधुओ का मुंबई का दूसरा दौरा था इससे पहले मई 2022 में ही सारस्वत सम्मेलन में अपनी हाजिरी राजस्थानी सारस्वत बंधु लगा चुके थे । इसी आयोजन में 25/26 फरवरी 2023 को विश्व सारस्वत सम्मेलन में शामिल होने का न्यौता मिला, इस बात मन में था कि सम्मेलन का स्थान हरिद्वार ऋषिकेश है तो क्यों ना, ऐसी माताओं और बुजुर्गो को इस सम्मेलन में शामिल किया जाए, जो आज के समय में हरिद्वार गंगा स्नान करना तो चाहते है पर उम्र के इस पड़ाव में हिम्मत नही कर पाते, अकेले जाने का डर भी कहीं ना कहीं सताता है । हमने सोचा इस बार ये पहल करते है फिर अंदर अंदर ये भी मन में था कि ज्यादा उम्र के बंधुओ को कैसे ले जायेंगे, फिर ठाकुर जी को जिम्मेदारी देते हुए बस… एक एक कर लिस्ट बननी शुरू हुई, पहले लगा शायद 50 बंधुओ को ले जा पाएंगे, पर जिम्मेदारी ठाकुर जी की थी, ये सिलसिला शुरू हुआ और चलता चलता गया, हमने 300 की संख्या पर एक बार ब्रेक लगाया आवेदन लेने का, पर खुद को रोक नहीं पा रहे थे और आने वाला बंधु भावुकता से जुड़ना चाह रहा था फिर भी आयोजन से 15 दिन पहले ये संख्या 364 पर आकर रूकी और बस पंजीकरण लेना बंद कर दिया, अब जब लिस्ट पर नजर दौड़ाई तो दंग रह गए, 118 यात्री 75+ उम्र के थे वहीं 191 यात्री 60 से 75 की उम्र के बीच और 55 यात्री 60 से कम उम्र के थे अब चिंता ये सताने लगी कि आखिर इसमें से किसी को कोई स्वास्थ्य सबंधित कोई दिक्कत हो गई तो ? कोई मेडिकल इमरजेंसी आ गई तो ? पर सहसा ख्याल आया कि ये जिम्मेदारी तो ठाकुर जी महाराज को दे चुके है और तैयारी शुरू की, 24 फरवरी को यात्रा के दिन ये संख्या 400 छू गई, मैनेज करना संभव नहीं था पर ठाकुर जी ने इन्ही यात्रियों में से कार्यकर्ता भी भेजे, सब एक दूसरे का हाथ बंटाने लगे, बीकानेर से “जय शंकर” “जय सरस जी महाराज” “जय श्री राम” के उद्घोष के साथ प्लेटफार्म की तरफ बढ़ रहे थे
ये पल वाकई बहुत अद्भुत था इस तरह के पल कभी कोई चाहकर भी खड़ा नही कर सकता, ठाकुर जी महाराज की असीम कृपा रही होगी तभी इस तरह के पवित्र प्रयास का माध्यम हमें चुना, 400 में से 350 बंधुओ को मैं व्यक्तिगत नही जानता, भीड़ में से आवाज आती “यही सम्पत है क्या” कहीं ना कहीं ईश्वर द्वारा प्रदत्त इस जीवन की विलक्षणता से भी परिचय करवा रही थी अगले दिन हरिद्वार पहुंचने पर स्टेशन से लेकर हर की पौड़ी गंगा स्नान तक सबकी नजर हम पर थी क्योंकि एक बहुत बड़े समूह के रूप में हम सब आगे बढ़ रहे थे फिर सम्मेलन में खुद को “सारस्वतों की सुनामी” से संबोधित करवाकर कहीं कहीं गर्व हो रहा था सम्मेलन का हिस्सा बने, प्रमुखता से राजस्थानी सारस्वत समाज की बात को रखा, और आयोजक का सर्वोच्च सम्मान भी राजस्थानी सारस्वत समाज के सम्मानित व्यक्ति को दिलवाया, और अगले दिन नीलकंठ महादेव के दर्शन करने पहाड़ों की ओर बस मार्ग से चल पड़े, काफी बंधु कहते नजर आ रहे थे कि गंगा आरती से लेकर नीलकंठ महादेव के दर्शन और ये सारे अनुभव जीवन के बेहतरीन पलों में से एक है अकेले खूब घूमे होंगे पर इस तरह इतने बड़े काफिले के साथ स्नेह और सादगी से इतना मार्मिक अनुभव कभी नही लिया… ये वाकई ठाकुर जी की ही कृपा थी ।
*जहां हम आम जीवन में 100/200 की बारात मैनेज करने में परेशान हो जाते है वहीं इस बड़े दल को कहीं ना कहीं ठाकुर जी ही चला रहे थे वो अतिवरिष्ठ बंधुओ को जब भी मौका मिलता, मुझे दुलार देते… आशीष देते… दुआएं देते…. और कुछ माताएं अपने पास बिठाकर लाड कोड से “मतीरे के सेके हुए बीज” “आंच में सेकी हुई मूंगफली” “बोर” “चटनी” और ना जाने क्या क्या व्यंजन बनाकर लाई मेरे लिए, और जहां मौका मिला… सामने बिठाकर खिलाया, ये पल भावुक करने वाला था*
लोग जिंदगी अलग अलग ढंग से जीते है दिखावा करते है खुद पर खर्च करके दुनिया को अमीरी से परिचय करवाते है पर शायद उनकी अमीरी से कोसों दूर इस अमीरी का कोई मुकाबला नहीं, हर मौके में गीत गाती, नृत्य करती मेरी माताएं साक्षात भगवान को भी मजबूर कर रही थी कि वो उनकी सुने, इस पांच दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा का वर्णन करना किसी के बस की बात नहीं, सब आनंदित है सकुशल लौट आए है किसी को कोई दिक्कत नही हुई, ये ठाकुर जी का ही चमत्कार है ।
*(हां कुछ कुंठित मानसिकता के जलनखोर इस समूह को नरेगा में शामिल होने वाली भीड़ से तुलना कर गए, बस इतना ही कहूंगा कि ठाकुर जी उन्हे साजिशों का मुखिया ही बनाकर रखे और वो इसी तरह षडयंत्र करते रहे पर ये सब हमारी माएं है ईश्वर का स्वरूप)*
*कुछ नकारात्मक छवि के लोग इस अदभुत यात्रा में भी कमी निकालने की कोशिश में है वहीं हमने तो भैया अगली यात्रा की तैयारी भी शुरू कर दी है अगले अवसर में इससे बड़ी यात्रा को सफलतापूर्वक सम्पन्न करेंगे हमारे ठाकुर जी और एक बार फिर हमें माध्यम बनाएंगे ऐसी मंगल कामना करते है*