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बीकानेर.पूर्व चिकित्सा मंत्री और कांग्रेस विधायक रघु शर्मा के केकड़ी को जिला बनाने की ताल ठोंकने के साथ ही नए जिले बनाने का जिन्न एक बार फिर पिटारे से बाहर निकल आया है.

नए जिलों के गठन को लेकर रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता वाली कमेटी का कार्यकाल 14 मार्च को खत्म होने जा रहा है. इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही सात नए जिले और तीन संभाग बनाने की रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी.

ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार राजस्थान की भौगोलिक तस्वीर बदल सकती है. नए जिलों के गठन के लिए पिछले साल कमेटी भी बनाई थी. बाद में इसका कार्यकाल मार्च तक बढ़ा दिया गया. प्रदेश में जिलों की बात करें तो यहां एक जिले में औसत 24 लाख की आबादी आती है. राजस्थान से छोटे राज्य छत्तीसगढ़ और गुजरात में ही 33-33 जिले हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ में 9 लाख की आबादी पर एक जिला है. हरियाणा में 13 लाख की आबादी पर एक जिला है. मध्य प्रदेश में 52 जिले हैं और वहां पर 15 लाख की आबादी पर एक जिला है. ऐसे में राजस्थान के जिलों पर आबादी का बोझ कहीं ज्यादा है. प्रदेश में नए जिलों के मांग के पीछे बड़ी वजह है कि इन क्षेत्रों में कई गांवों की जिला मुख्यालय से दूरी 200 किलोमीटर तक है. इसके लिए लोग घंटों का सफर करना पड़ता है.

नए जिलों के लिए बढ़ रहा विधायकों का दबाव

अब कांग्रेस विधायक रघु शर्मा ने नए जिले बनाने का मुद्दा उठाते हुए ‘केकड़ी’ को जिला बनाने की मांग उठाई है. इससे पहले भी प्रदेश में नए जिले बनाने के लिए कांग्रेस और समर्थक विधायक लगातार सरकार पर दबाव बना बना रहे हैं. कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत तो जिले की मांग को लेकर जूते ही नहीं पहन रहे हैं. प्रजापत ने बालोतरा को जिला नहीं बनाने तक नंगे पैर रहने की घोषणा कर रखी है. निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर दूदू, आलोक बेनीवाल ने शाहपुरा को जिला बनाने की मांग पर दबाव बना रखा है. महादेव सिंह खंडेला ने खंडेला, मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा उदयपुरवाटी को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस विधायक सुरेश मोदी नीमकाथाना को जिला बनाने की पैरवी कर रहे हैं.

वसुंधरा राजे ने बनाया था प्रतापगढ़ नया जिला

प्रदेश के पिछले 15 साल से कोई नया जिला नहीं बना है. वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने 26 जनवरी 2008 में प्रतापगढ़ को जिला बनाया था. इसके बाद तीन सरकारें आईं और हर सरकार ने नए जिलों के लिए कमेटी बनाई, लेकिन जिले नहीं बने. बीजेपी राज में नए जिलों के लिए 2014 में रिटायर्ड IAS परमेश चंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी. कमेटी ने 2018 में सरकार को रिपोर्ट दे दी थी लेकिन कोई नया जिला बनाने की घोषणा नहीं हुई. गहलोत सरकार ने परमेश चंद कमेटी की रिपोर्ट मानने से इनकार कर दिया और नए सिरे से रिपोर्ट तैयार करने के लिए रामलुभाया कमेटी बनाई. इस कमेटी को भी 14 मार्च तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.

सात नए जिले और तीन संभाग सुर्खियों में आए

प्रदेश के बजट से पहले नए जिलों की घोषणा काफी सुर्खियों में रही थी. हालांकि रामलुभाया कमेटी ने रिपोर्ट नहीं दी, लेकिन सूत्रों ने यह संकेत दिए हैं कि प्रदेश में नए 7 जिले और 3 सम्भाग बनाए जा सकते हैं. नए जिलों के नाम सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गए. इसके तहत राज्य सरकार ब्यावर, बालोतरा, भिवाड़ी, नीम का थाना, कुचामन सिटी, सुजानगढ और फलौदी को जिले बनाने जा रही है. हालांकि नए जिले बनने से कई जगह सियासी समीकरण बिगड़ने का भी डर है. क्योंकि पचास से ज्यादा शहरों को नया जिला बनाने की मांगें आ रही हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक नए जिलों से जितने राजी होंगे, उसकी तुलना में नाराज होने वालों की संख्या ज्यादा हो जाएगी.

नए जिलों की घोषणा के बाद यह हो सकती है तस्वीर

•जयपुर संभाग- जयपुर, दौसा, अलवर और भिवाड़ी

•बीकानेर संभाग- बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ और सुजानगढ़

•जोधपुर संभाग- जोधपुर, पाली, नागौर और फलौदी

•उदयपुर संभाग- उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमन्द और सिरोही

•कोटा संभाग- कोटा, बूंदी, झालावाड़ और बारां

•भरतपुर संभाग- भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर और करौली

•सीकर संभाग- सीकर, झुझुनूं, चूरू औरप नीम का थाना

•अजमेर संभाग- अजमेर, टोंक, ब्यावर और कुचामन सिटी

•चितौड़गढ संभाग- चितौड़गढ, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा और भीलवाड़ा

•बाड़मेर संभाग- बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर और बालोतरा

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