बीकानेर,देश के कुछ राज्यों में इन्फ्लूएंजा (H3N2 वायरस) का कहर बढ़ता जा रहा है. हर बीतते दिन के साथ मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है और अलग-अलग तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इसी कड़ी में कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के कानपुर और लखनऊ में अचानक से इन्फ्लूएंजा के मामले तेजी से बढ़ गए हैं.
दोनों ही राज्यों में सरकार अलर्ट है और अस्पतालों में भी इंतजाम किए जा रहे हैं.
कर्नाटक में वायरस के खिलाफ क्या तैयारी?
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर के सुधाकर ने मंगलवार को टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी के साथ एक मीटिंग की थी. बढ़ते मामलों को लेकर चर्चा हुई और आगे के एक्शन प्लान पर भी मंथन किया गया. उस मंथन के बाद मीडिया से बात करते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पैनिक करने की कोई जरूरत नहीं है. एक विस्तृत गाइडलाइन जल्द ही जारी कर दी जाएगी. अस्पतालों में भी मास्क पहनने को लेकर आदेश जारी किया जाएगा. स्वास्थ्य मंत्री ने ये जानकारी भी दी कि इन्फ्लूएंजा के ज्यादा मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों में देखने को मिल रहे हैं. गर्भवती महिलाएं भी इससे ग्रसित हो रही हैं. जोर देकर कहा गया है कि अगर साफ-सफाई रखी जाए, कहीं ज्यादा भीड़ इकट्ठी ना हो तो इस वायरस से बचा जा सकता है.
वैसे इस समय वायरस की वजह से कई लोग एंटी बायोटिक ले रहे हैं, कई तो बिना डॉक्टर से बात किए ऐसा कर रहे हैं. उन तमाम लोगों को स्वास्थ्य मंत्री ने चेतावनी दी है. कहा है कि इस प्रकार से बिना एडवाइज के दवाई लेना ठीक नहीं है. अब कर्नाटक में स्थिति चिंताजनक है तो यूपी में भी मामलों में तेजी देखी गई है.
यूपी में कैसे हालात, अस्पताल में क्या स्थिति?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में H3N2 वायरस के मरीज लगातार आ रहे हैं. ऐसे में डॉक्टर उनके लिए अलग से वार्ड बनवा रहे हैं. इसके साथ कोविड की तरह मास्क पहनने की सलाह भी दी जा रही है और ड्रॉपलेट से बचने की सलाह दी गई है. इसी तरह कानपुर में भी इन्फ्लूएंजा का कहर जारी है. वहां के सबसे बड़े अस्पताल हालात में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. अभी तक टेस्ट में तो सभी मरीजों को लेकर इस वायरस की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन लक्षण समान दिख रहे हैं. इस समय हालात का इमरजेंसी वॉर्ड पूरी तरह भर चुका है, ऐसे में दूसरे वॉर्ड में मरीजों को शिफ्ट किया जा रहा है.
बातचीत के दौरान हालात अस्पताल की मेडिसिन डिपार्टमेंट की हेड ऋचा गिरी ने बताया कि मौसम बदलने की वजह से मरीजों की संख्या बढ़ी है. कफ से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिख रहे हैं. अकेले एक दिन के अंदर में 23 से 24 मरीज आ रहे हैं. कुछ को तो वेंटिलेटर पर भी रखा हुआ है. डॉक्टर ऋचा ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस वायरस की तुलना कोविड से करना गलत है. दोनों अलग हैं, लेकिन बिना टेस्टिंग के पहचान करना चुनौती रहती है.
वैसे इस समय कर्नाटक-यूपी के अलावा पश्चिम बंगाल और दिल्ली-एनसीआर में भी मामलों में तेजी देखी जा रही है. अमेरिका और हांगकांग भी इस वायरस से परेशान रह चुका है, वहीं वैरिएंट अब भारत में अपना कहर दिखा रहा है.
क्या लक्षण, क्या बचाव, क्या जानकारी?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस चार टाइप- A, B, C और D का होता है. इनमें A और B टाइप से मौसमी फ्लू फैलता है. – हालांकि, इनमें इन्फ्लूएंजा A टाइप को महामारी का कारण माना जाता है. इन्फ्लूएंजा टाइप A के दो सबटाइप होते हैं. एक होता है H3N2 और दूसरा- H1N1. – वहीं, इनफ्लूएंजा टाइप B के सबटाइप नहीं होते, लेकिन इसके लाइनेज हो सकते हैं. टाइप C को बेहद हल्का माना जाता है और खतरनाक नहीं होता. जबकि, टाइप D मवेशियों में फैलता है. आईसीएमआर के मुताबिक, कुछ महीनों में कोविड के मामले कम हुए हैं, लेकिन H3N2 के मामले में बढ़ोतरी हुई है. सर्विलांस डेटा बताता है कि 15 दिसंबर के बाद से H3N2 के मामले बढ़े हैं. मौसमी इन्फ्लूएंजा से संक्रमित होने पर बुखार, खांसी (आमतौर पर सूखी), सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकावट, गले में खराश और नाक बहने जैसे लक्षण नजर आते हैं. – ज्यादातर लोगों का बुखार एक हफ्ते में ठीक हो जाता है, लेकिन खांसी ठीक होने में दो या उससे ज्यादा हफ्ते का समय लग जाता है.
इसके अलावा आईसीएमआर ने खुद को संक्रमण से बचाने के लिए क्या करें और क्या न करें, यह भी बताया है. लोगों को सलाह दी गई है कि वह नियमित रूप से साबुन से हाथ धोएं, फेस मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. आईसीएमआर ने बुखार और बदन दर्द की स्थिति में पैरासिटामोल लेने की सलाह दी है. इसके अलावा हाथ मिलाने से बचने को भी कहा गया है. ICMR ने कहा है कि एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं डॉक्टर से सलाह के बाद ही लेनी चाहिए.