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बीकानेर,आप तो संस्कृति मंत्री हो अर्जुन राम जी। आप अपनी पार्टी में तो सौहार्द भर दो। होली तो राग द्वेष खत्म करने और भाईचारा बढ़ाने का त्यौहार है। आपकी ही पार्टी का नेता जो आपका भले ही घोर विरोधी है 26 दिन से अनशन पर बैठा है। आप सुध तो ले लो। इतना क्या अहंकार है ? आप बड़े हो थोड़े झुक जाओ ना। आपका कद ओर बढ़ जाएगा। आपकी संवेदनशीलता से हो सकता है बीकानेर में भाजपा के बीच की आपसी दूरियां मिट जाएं। भाजपा नेता महावीर रांका 26 दिन से अनशन पर है, हालांकि अनशन भाजपा पार्टी का घोषित कार्यक्रम नहीं है। बीकानेर में इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के दो खेमे जग जाहिर हुए हैं। अर्जुन राम मेघवाल समर्थक रांका के इस अनशन से उतना ही तालुकात रख रहा है जितना सत्तारूढ़ कांग्रेस। धरणार्थी गहलोत सरकार पर इस मुद्दे को लेकर संवेदनहीनता का आरोप लगा रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से प्रदर्शन, मशाल जुलूस, भैंस के आगे बीन बजाने से लेकर, राज्यपाल,राष्ट्रपति को खून से पत्र लिखने समेत ध्यानाकर्षण के विभिन्न तरीके अपनाने के बाद भी न कांग्रेस सरकार के जूं रेंग रही है और न भाजपा का अर्जुन राम गुट कोई सहानुभूति दर्शा रहा हैं। अनशन की सुध नहीं लेना सरकार की उदासीनता व हठधर्मिता हो सकती है, क्योंकि धरना भाजपा का है और सरकार कांग्रेस की है। सत्तारूढ़ पार्टी विपक्ष को सार्वजनिक मुद्दे पर जहां तक श्रेय नहीं लेने देती। परंतु भाजपा का दूसरा धड़ा भी कांग्रेस जैसा ही व्यवहार करें यह कहां शोभा देता है। धरना भाजपा के नाम से हैं। भाजपा के जिला अध्यक्ष से लेकर पार्टी विधायक तक समर्थन में बैठे हैं। भाजपा विधायक बिहारी लाल विश्नोई ने विधानसभा में सवाल भी उठाया है। फिर सांसद को पीड़ा क्यों नहीं है ? यह बीकानेर में पार्टी की साख से जुड़ा मुद्दा भी है। अर्जुन राम मेघवाल बीकानेर के सांसद भी है उनको पार्टी की राजनीतिक साख से क्या कोई सरोकार है भी ? यह बात सही है कि रांका मेघवाल का पार्टी में विरोधी गुट से ताल्लुक रखता है। इस अंतर्विरोध और खींचतान को मेघवाल बड़पन दिखाकर कम कर सकते हैं। जैसा कि धरणार्थियों का कहना है न्यायालय ने सीधे तौर पर 18 कार्मिकों को ज्वाइनिंग के आदेश जारी किए हैं फिर भी उन्हें पुन: नियुक्ति नहीं दी जा रही है। यह न्यायालय की अवमानना है जो कि बड़ा अपराध है। अगर लोजिकली रांका की मांग वाजिब है तो पार्टी के बैनर पर उठाए गए मुद्दे पर क्षेत्रीय सांसद को नैतिक समर्थन देना ही चाहिए अन्यथा तो इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ कांग्रेस और सांसद मेघवाल के मंतव्य में फर्क ही क्या रह जाएगा। यह मुद्दा पार्टी के लोगों के बीच आगे नजीर बनने वाला है। मंत्री जी होली के रंग में आप तो राग द्वेष का काला रंग साफ कर लो बाकी लोग अपना जाने , क्योंकि आप पर पूरे देश की नजर टिकी हुई है।

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