बीकानेर,यहां डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में चल रहे 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में गुरुवार को विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना वनश्री राव एंड पार्टी की अनूठी क्लासिकल नृत्य प्रस्तुति ने हजारों दर्शकों को वाहवाही करने को विवश कर दिया। उनकी पेशकश अनूठी और मनभावन इसलिए बन गई कि उन्होंने अपने मूल कूचिपूड़ी में भरत नाट्यम और बिहार के छऊ नृत्य का उम्दा मिश्रण किया। उनकी प्रस्तुति में बिहार के छऊ डांस की मार्शल आर्ट जैसे एक्शन में भी क्लास से कोई समझौता नहीं हुआ। अपनी शास्त्रीयता कायम रख तीन बड़े डांस का सम्मिश्रण हर खासोआम को भा गया।
वनश्री की पांच हिस्सों में बंटी यह प्रस्तुति नारी शक्ति का सुंदर प्रदर्शन रही। वनश्री के निर्देशन में प्रस्तुत ‘महिषासुरमर्दिनी’ नृत्य में देवी ने जहां कूचिपूड़ी और भरत नाट्यम की अनुपम मिसाल पेश की, वहीं महिषासुर के युद्ध के एक्शन में छऊ नृत्य प्रतिबिंबित हुआ।
इसके साथ ही इनकी लोकप्रिय प्रस्तुति ‘मीरां’ में मीरां के भजन बरसे बदरिया सावन की… पर नृत्य इसे सजीव बना गया। मीरां के बादल, पानी, मोर आदि सर्वत्र कृष्ण को मानने की अभिव्यक्ति बहुत ही मनोहारी तरीके से पेश की गई, जिसे देख दर्शक वाह—वाह कर उठे। मीरां के अंतर्मन के भावों और भावनाओं की खूबसूरत प्रस्तुति सराहनीय रही।
इसी तरह, ‘अर्धनारीश्वर’ नृत्य में प्रशांत कालिया ने जहां शिव के रूप में जबरदस्त नृत्य कला पेश की, वहीं मोउलुषी मजूमदार ने पार्वती की भूमिका के साथ पूर्ण न्याय किया। नृत्य में अंग विन्यास और अदाकारी देखते ही बनी। इस नृत्य में दर्शाया गया कि प्रकृति बिना पुरुष के अधूरी है।
वनश्री और उनकी टीम ने ‘अभिमन्यु वध’ की प्रस्तुति में अभिमन्यु के वध की मार्मिक प्रस्तुति से दर्शकों को हिला कर रख दिया। वहीं, वनश्री ने स्वयं द्रोणाचार्य के रूप में जो युद्ध को अनर्थकारी बताने का जो नृत्य रूपांतरण किया वह सबके दिलों को छू गया। इस पेशकश का अंत जब अर्जुन की अभिमन्यु के वध का कारण बने जयद्रथ को सूर्योदय से पूर्व मारने की प्रतिज्ञा से हुआ तो तमाम शामियान भी भावनाओं में बहते नजर आए।
अंत में चार मिनट की तिल्लाना यानी तराना में थाली पर डांस और परंपरागत कूचिपूड़ी की प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया। साथ ही, होली का माहौल बना दिया।