जयपुर। कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा परेशानी ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई थी। इसकी वजह से सैकड़ों लोगों ने जान तक गंवाई थी। तीसरी लहर में इसी समस्या से निपटने के लिए राजस्थान सरकार पूरे प्रदेश में 123 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट (OGP) और लिक्विड टैंक लगाने की तैयारी थी। ये योजना 16 मेडिकल कॉलेज, उनसे संबंधित हॉस्पिटल और जिला हॉस्पिटल, उप जिला चिकित्सालय और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) पर शुरू की गई थी। सच्चाई यह है कि इनमें से 96 प्लांट ही लगे है, जिनमें 50 फीसदी में अभी कई काम होने बाकी है। सूत्रों की माने तो शेष 26 लगने में अभी एक माह का समय लग सकता है, कहा जा रहा है कि इसमें ठेकेदारों का कुछ तकनीकी मामले में विवाद चल रहा है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने करीब डेढ़ सप्ताह पहले सीएमओ में रिपोर्ट पेश कर बताया ता कि 16 मेडिकल कॉलेजों 123 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट (OGP) लगाने की योजना है, जिनकी कुल क्षमता 11, 575 सिलेण्डर प्रतिदिन ऑक्सीजन जनरेट करने की है। इनमें से अब तक 96 प्लांट ही लगे है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन मेडिकल कॉलेजों में 18 लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगने थे, जिनमें से अब तक 7 प्लांट में काम शुरू हो गया है। इन 123 प्लांट में से 68 प्लांट स्वायत्त शासन विभाग को, जबकि 55 प्लांट नगरीय विकास विभाग को लगाने है।
राजस्थान के मेडिकल कॉलेज में लगने है प्लांट
मेडिकल कॉलेजजनरेशन प्लांटलिक्विड प्लांटसवाई मानसिंह जयपुर235राजस्थान स्वास्थ्य एवं विज्ञान विश्वविद्यालय जयपुर52जयपुरिया20उदयपुर मेडिकल कॉलेज192अजमेर मेडिकल कॉलेज121जोधपुर113कोटा242बीकानेर111झालावाड़51भीलवाड़ा71डूंगरपुर40भरतपुर60पाली50चूरू50बाड़मेर60सीकर40
50, 75, 100 और 150 सिलेण्डर प्रतिदिन क्षमता के हैं प्लांट
स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों की मानें तो 86 नगरीय निकाय क्षेत्रों में बने उप जिला अस्पताल, CHC, सैटेलाइट हॉस्पिटल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए 30 मई को वर्क ऑर्डर जारी किया था। इन सभी प्लांट को लगाने की डेडलाइन 31 अगस्त रखी थी। टेंडर शर्त के मुताबिक, सभी ऑक्सीजन प्लांट एक वर्ष के संचालन और रखरखाव, 2 साल की वारंटी के साथ 3 माह में लगाए जाने थे। इन प्लांट से हर रोज 12,200 सिलेंडर ऑक्सीजन का जनरेशन करने का लक्ष्य है, लेकिन बाद में प्लांट्स की संख्या को कम करके 123 कर दिया था। ये प्लांट्स 50, 75, 100 और 150 सिलेण्डर प्रतिदिन ऑक्सीजन जनरेटर की क्षमता वाले है।
400 मीट्रिक टन से ज्यादा थी मांग
कोरोना की दूसरी लहर में अप्रैल-मई के दौरान हर रोज ऑक्सीजन की मांग 400 मीट्रिक टन से ज्यादा होने लगी थी। उस समय पूरे प्रदेश में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की कैपेसिटी 150 मीट्रिक टन से ज्यादा नहीं थी। तब जामनगर, सूरत के हजीरा स्थित प्लांट से मंगवाई गई थी। इसके लिए बकायदा जयपुर, जोधपुर एयरपोर्ट से खाली टैंकर्स को एयरलिफ्ट करके इन प्लांट्स तक पहुंचाया जाता था।
50 हजार कॉन्सन्ट्रेटर का बैंक बनाया
ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने के अलावा छोटे-छोटे गांव व कस्बों में लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (PHC) स्तर पर ही ऑक्सीजन मिल सके इसके लिए ऑक्सीजन कॉन्सन्ट्रेटर का बैंक बनाया है। हर PHC सेंटर पर 8-10 कॉन्सन्ट्रेटर रखवाए गए है, ताकि कोरोना की तीसरी लहर में इमरजेंसी के समय ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को ऑक्सीजन के लिए शहर या कस्बों की तरफ नहीं आना पड़े। प्रदेश में करीब 50 हजार कॉन्सन्ट्रेटर का बैंक तैयार किया है।
अगले महीने तक प्लांट का काम होगा पूरा
इस मामले में स्वायत्त शासन विभाग के सचिव भवानी सिंह देथा ने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने का काम चल रहा है और हमारी कोशिश है कि अगले महीने तक सभी प्लांट्स लग जाएं।
स्वायत्त शासन विभाग के चीफ इंजीनीयर भूपेन्द्र माथुर की माने तो स्वायत्त शासन विभाग के 68 में से 62 प्लांट, जबकि यूडीएच के 55 में से 34 प्लांट लग चुके है। हालांकि इन प्लांट्स में अभी कुछ काम बाकी है, जो जल्द पूरे हो जाएंगे और उसके बाद ऑक्सीजन जनरेशन की टेस्टिंग शुरू होगी।