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बीकानेर, संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में बदइंजामों के बीच लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों किलकारियां गूंजी है। बच्चों के जन्म पर परिवार के लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर रहे हैं। कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए गायनिक चिकित्सकों ने अठारह माह में २४ हजार से अधिक सुरक्षित प्रसव कराए हैं। आमजन ने निजी अस्पतालों की बजाय सरकारी अस्पताल पर भरोसा जताया। लोगों को भी सरकारी अस्पताल में सहारा मिला। सरकारी अस्पतालों में पीबीएम का ३० फीसदी भी प्रसव नहीं हुए हैं।

अगस्त रहा लड़कियों के नाम
पीबीएम अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल आठ महीने में अकेला अगस्त माह ही ऐसा है, जिसमें लड़कों की बजाय लड़कियां अधिक पैदा हुई है। अप्रेल में ६९९ लड़के पैदा हुए वही लड़कियां ७१९ पैदा हुई। २० लड़कियां अधिक पैदा हुई। जबकि जनवरी में ४७, फरवरी में ९४, मार्च में ६१, अप्रेल में ७२, मई में ३५, जून में ४८, जुलाई में ११९ लड़के अधिक पैदा हुए।

१९८ बच्चे हुए जुड़वा
पीबीएम के जनाना अस्पताल में आठ माह में १९८ जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया, जिनमें से १९४ पूरी तरह स्वस्थ है। जनवरी में १८ बच्चे जुड़वा हुए और अगस्त में १२ बच्चे अब तक जुड़वा हो चुके हैं। अगस्त में ३७ ऐसे प्रसव कराए गए, जिनमें ऑपरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ी।

सामान्य प्रसव का आंकड़ा बढ़ा
लॉकडाउन के बाद से पीबीएम अस्पताल में सिजेरियन प्रसव काफी घट गए हैं। पिछले आठ महीने में ९ हजार ४२ प्रसव हुए, जिसमें से ६१३३ सामान्य और २९०९ प्रसव सिजेरियन हुए हैं। चिकित्सा विभाग के एक अनुमान के मुताबिक जिलेभर में निजी अस्पतालों में पीबीएम से आधे भी प्रसव नहीं हुए हैं।

कुल प्रसव २४४८८

लड़के १२३८३
लड़कियां ११३७७
जीवित २३७७२
बीकानेर।

सामान्य प्रसव १७०९०
सिजेरियन ७४५२
टांके १९६७
जुड़वा १९८

माह प्रसव सामान्य सिजेरियन लड़के लड़कियां जीवित
जनवरी १२९९ ८९४ ४०५ ६५८ ६११ १२७०
फरवरी ११३४ ७७२ ३६२ ५९७ ५०३ ११००
मार्च १०८८ ७६३ ३२५ ५६३ ५०२ १०६५
अप्रेल ९१४ ६२८ २८६ ४८३ ४११ ८८४
ेमई ८७७ ५९३ २८४ ४२४ ३८९ ८१३
जून १०२९ ६५९ ३७० ५२१ ४७३ ९९४
जुलाई १२४१ ७९३ ४४८ ६६९ ५५० १२१९
अगस्त १४६० १०३१ ४२९ ६९९ ७१९ १४१८
कुल ९०४२ ६१३३ २९०९ ४६१४ ४१५८ ८७७२

इनका कहना है…
पीबीएम संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। प्रसूताएं रेफर होकर अधिक आती है। कोरोना के बाद से पीबीएम में प्रसव अधिक हुए हैं। यहां सिजेरियन ७ हजार ४५२ जबकि सामान्य प्रसव १७ हजार ९० करवाए गए। पिछले सालों की तुलना में सिजेरियन प्रसव में आठ प्रतिशत की कमी आई है।
डॉ. परमेन्द्र सिरोही, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल

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