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बीकानेर विच़़़क्षण ज्योति, प्रवर्तिनी,साध्वीश्री चन्द्र प्रभा की 9 वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में उनकी शिष्या साध्वीश्री चंदन बाला आदि ठाणा 5 के सान्निध्य में गुणानुवाद सभा, सामयिक, व सामूहिक आयम्बिल की तपस्या का आयोजन हुआ। साध्वीश्री चंदनबाला मंगलवार व बुधवार को सुगनजी महाराज के उपासरे में प्रवचन करेंगी।
साध्वीश्री चंदनबाला ने अपनी गुरुवर्या, बीकानेर मूल की साध्वी, खरतरगच्छ संघ की प्रवर्तिनी (जैनाचार्या) साध्वीश्री चन्द्रप्रभा के आदर्शों का स्मरण दिलाते हुए कहा कि वे संध व शासन का गौरव थीं। उन्होंने पंथ गच्छ व सम्प्रदाय से ऊपर उठकर जैन व जैनेतर बंधुओं के आत्म कल्याण के लिए सदैव उच्च संयम की पालना करते हुए कार्य किया। बीकानेर की खरतरगच्छ की यह एक मात्र साध्वी थीं जिनके महामांगलिक कार्यक्रम में 10-15 हजार श्रावक-श्राविकाओं की भीड़ रहती थीं। उन्होनें व्यसन मुक्ति, अनेकांत, शुद्ध आचरण के प्रति निष्ठा, शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक, संघ सेवा, मंदिरों व उपासरों के जीर्णोंद्धार करते हुए जिनवाणी का शंखनाद किया। उनका देव, गुरु व धर्म तथा अपनी साधना, आराधना व भक्ति के प्रति पूर्ण समर्पण रहा। उनका आत्मबल, व्यक्तित्व, उपदेश, संदेश अनुकरणीय व प्रेरणादायक थे। उन्होंने समूचे हिन्दुस्तान में पैदल यात्रा करते हुए भगवान महावीर के सिद्धान्तों को जन-जन तक पहुंचाया। उन्हांने साध्वीवृंद, समाज को संगठित करने का अनुकरणीय कार्य करते हुए जिन शासन की सेवा की।
साध्वीश्री चिन्मयाश्रीजी, जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ के पूर्व मंत्री विजय कोचर, जैन महासभा के सुरेन्द्र जैन बद्धाणी, खरतरगच्छ संघ के वरिष्ठ श्रावक पन्नालाल खजांची, निर्मल पारख, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, मनीष नाहटा, ऋतु कोठारी, सी.ए.राजेन्द्र लूणियां, कंवर लाल मुकीम खजांची आदि ने साध्वीश्री चन्द्रप्रभाश्री के आदर्शों का स्मरण करते हुए उनका वंदन किया। विचक्षण महिला मंडल, राजश्री छाजेड़, कुशल दुगड़ ने भजनों के माध्यम से अपनी भावों को प्रकट किया। वक्ताओं ने बताया कि दृढ़ संकल्पी, कुशल संचालिका, ठोस निर्णय, गच्छ, संगठन की प्रिय, वातसल्याता की प्रतिमूर्ति, स्वाध्याय, निष्ठता व व्यावहार कुशल सरल व सहजता की प्रतिमूर्ति थीं साध्वीश्री चन्द्रप्रभाश्रीजी म.सा.। साध्वीश्री चन्द्रप्रभा की पुण्यतिथि पर अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने सामयिक व आयम्बिल की तपस्या व साधना की। दोपहर को उपासरे में भक्ति संगीत के साथ दादा गुरुदेव की पूजा की गई।
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