महामहिम आप पहले भी तीन दिवसीय यात्रा पर बीकानेर पधारे थे। अब आपका फिर स्वागत, भाव भिन्ना अभिनंदन। पिछली बार आपने बीकानेर के चारों कुलपतियों की बैठक भी ली थी। इस बार बैठक से क्या सुधार हुआ इसकी समीक्षा की जरूरत है। महामहिम भावी पीढ़ी के भविष्य का सवाल है। क्यों विश्वविद्यालय शिक्षा के विकास को दिशा नहीं मिल पाई है? गहलोत सरकार ने विश्वविद्यालयों पर कितना ध्यान दिया है? यह आपके भी, जनता और विद्यार्थियों के ध्यान में है ही। चारों विश्वविद्यालयों में से राजूवास को छोड़ कर तीनों में शिक्षकों के कमोबेश आधे पद वर्षों से रिक्त चल रहे हैं। फिर अनुसंधान, इवोवेशन और विश्वविद्यालय शिक्षा के क्या हालत है सहज ही समझा जा सकता है। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय तो पहले से बदतर हालत में हैं। विवि को एनएएसी से सी ग्रेड मिला है। यह अपने आप में प्रमाणिक रूप से हालत को दर्शाती है। विवि की स्थापना के दो दशक से मानक के अनुरूप प्राध्यापक के पद नहीं भरे जा सकें हैं।विश्वविद्यालय में 17 शिक्षक स्थायी और एक प्रतिनियुक्ति पर है। चार नए विभाग तीन वर्षों से गेस्ट फैकल्टी के भरोसे हैं। कुलपति फिर भी अपने कार्यकाल के तीसरे दीक्षांत समारोह मनाने पर गोरवान्वित महसूस कर रहे हैं। विभागों में कहने को स्मार्ट क्लास है। अंदर के हालत कैसे हैं। कभी दिखवा लें। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय तो सत्तारूढ़ स्थानीय नेताओं का राजनीति उपकरण बना हुआ है। इस भव्य ढांचागत विवि का शैक्षणिक ढांचा खोखला है। इंडोर स्टेडियम में बनने के बाद खेल नहीं हुए हैं। साईकिल वेलोड्रम तकनीकी रूप से सही नहीं बना है। करोड़ो रुपए खर्च करके लीपापोती हो रही है। आपका संविधान पार्क, अहिंसा पार्क, विवेकानंद पार्क किसके लिए हैं ? ऑडिटोरियम, स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, हास्टल बने तो हैं पर खाली पड़े हैं। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय की आई सी ए आर की रेंकिंग और एक्रिडेशन रिकार्ड से वास्तविकता सामने है। चार सालों में विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कितने प्रोजेक्ट मिले हैं? पिछले कुलपति का कार्यकाल तो विवादों में ही बीता। अब भी कोई अच्छी स्थिति नहीं है। इस से भी धरातल समझ में आ जाएगा। कुलपति प्रो. अरुण कुमार मानते है कि पद रिक्त होने से शैक्षणिक विकास में बाधा है।तकनीक विवि की तो दशा ही खराब है। आप खुद तकनीकी विश्व विद्यालय के बारे में जांच करवा लें। तभी तथ्य सामने आ पाएंगे। केवल ढांचा विश्व विद्यालय इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं होते उसमें शैक्षणिक और मानव संसाधनों का क्या विकास हो रहा है इसके ही मायने है। कुलाधिपति महामहिम विश्वविद्यालयों में समग्र रूप से व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश है।
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