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बीकानेर,IPS दिनेश MN ने अपने जीवन के कई किस्से बताए. सोहराबुद्दीन शेख ‘एनकाउंटर’ केस से लेकर आनंदपाल एनकाउंटर केस और अबू सलेम से मुलाकात के बारे में उन्होंने खुलकर बात की.

दिनेश ने साल 2006 में नागौर में हुए जीवनराम गोधारा हत्याकांड पर भी बात की. ये मामला इसलिए भी चर्चा में रहा था क्योंकि राजस्थान में पहली बार किसी हत्या में ऑटोमेटिक वेपन का इस्तेमाल हुआ था. हत्या के आरोप आनंदपाल पर लगे थे.

आनंदपाल ने फरारी में भी कई मर्डर किए थे

आनंदपाल के बारे में बात करते हुए IPS दिनेश MN ने बताया,

“राजस्थान में उस वक्त गैंगवार चलता था. साल 2006 में जीवनराम गोधारा मर्डर और गोपाल फोगाट मर्डर केस के आरोप आनंदपाल और बलवीर बानोड़ा पर लगे थे. आनंदपाल और बलवीर दोनों साथ काम करते थे. आनंदपाल और जीवनराम गोधारा की आपसी रंजिश भी थी. जीवनराम का मर्डर करने के बाद आनंदपाल फरार हो गया था.”

दिनेश एक मर्डर केस का जिक्र कर बताते हैं कि आनंदपाल और उसके साथियों ने नानूराम नाम के शख्स का मर्डर कर शव को एसिड से जला दिया था. इस केस में आनंदपाल बाद में बरी भी हो गया था, क्योंकि कोई सबूत नहीं मिला था. नानूराम मर्डर के बाद आनंदपाल फरार हो गया था. लगभग 6 साल फरार रहने के बाद साल 2012 में उसको गिरफ्तार किया गया था.

राजू टेट और आनंदपाल की रंजिश

दिनेश ने ये बात बताते हुए राजू टेट से आनंदपाल की रंजिश के बारे में भी बताया. राजू टेट सीकर जेल में किसी आरोप के चलते बंद था. दिनेश ने कहा,

“साल 2014 के जनवरी महीने में सीकर जेल में राजू टेट पर आनंदपाल के किसी साथी ने गोली चला दी थी. गोली राजू के दांत से लगी और उसके कंधे में जाकर रुक गई. राजू बच गया. उसे अस्पताल ले जाया गया. जिसके बाद उसने भी बदला लेने का प्लान बनाया.”

दिनेश ने बताया कि आनंदपाल की पूरी गैंग उस वक्त बीकानेर जेल में बंद थी. राजू टेट गैंग के दो आदमी बीकानेर जेल में हथियार लेकर गए और उन्होंने आनंदपाल गैंग पर सामने से फायरिंग की. फायरिंग में एक गोली आनंदपाल को लगी और एक बलवीर बानोड़ा को. इस घटना के बाद आनंदपाल गैंग ने राजू टेट गैंग के दो लोगों को मार दिया. दिनेश के मुताबिक उस दिन जेल में तीन लोगों की मौत हुई. दो राजू की गैंग से और बलवीर बानोड़ा.

आनंदपाल को हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट किया

दिनेश बताते हैं कि राजू टेट गैंग के हमले के बाद आनंदपाल को अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट कर दिया गया. अजमेर जेल में आनंदपाल गैंग ने प्लान बनाना शुरू किया. पुलिस ने आनंदपाल के साथियों से पूछताछ की और कुछ सवाल पूछे. पता चला कि आनंदपाल गैंग के तीन मकसद हैं- राजू टेट से बदला लेना, गैंग बनाकर पैसा कमाना और गवाहों को मारकर केस में बरी होना.

कमांडो की मिलीभगत

शक्ति सिंह नाम के कमांडो की आनंदपाल के साथ मिले होने की कहानी बताते हुए दिनेश ने बताया,

3 सितंबर 2015 को आनंदपाल नानूराम मर्डर केस में बरी हुआ था. उसने बरी होने की खुशी में सबको मिठाई खिलाई. मिठाई में पहले से जहर मिला हुआ था. उसने गाड़ी के ड्राइवर और शक्ति सिंह को छोड़कर सबको मिठाई खिलाई. सब बेहोश हो गए. जिसके बाद दो गाड़ियों में आनंदपाल की गैंग के लोग आए और फायरिंग शुरू कर दी.”

फायरिंग में एक गोली शक्ति सिंह के पैर पर भी लगी. दिनेश के मुताबिक शायद वो ये दिखाने के लिए थी कि शक्ति सिंह उन सब से मिला हुआ नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं था, शक्ति आनंदपाल गैंग के लिए काम कर रहा था.

दिनेश ने आगे बताया कि उस दिन आनंदपाल गैंग ने पुलिस की AK47 के साथ-साथ कई और हथियार लूट लिए. इस घटना के बाद पुलिस ने काफी नाकाबंदी की और उसकी तलाशी शुरू की. मार्च 2016 के दिन आनंदपाल और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई. जुलाई 2016 में उसने एक मुठभेड़ में SHO को गोली मारकर घायल कर दिया था.

दिनेश SOG में आए

दिनेश ने अपनी पोस्टिंग के बारे में बताते हुए कहा कि SOG में पहुंचते ही उन्होंने आनंदपाल को पकड़ने के फायदे के बारे में बात की, क्योंकि किसी अपराधी के जेल में रहकर भी अगर अपराध जारी रहें तो उसका कोई फायदा नहीं. दिनेश ने कहा,

“इसके बाद हमने जिला पुलिस के साथ मिलकर आनंदपाल के बाकी केसों को फॉलो करना शुरू किया. कई SP और ASP ने भी इसमें हमारी मदद की. हमने सरकार की मदद से आनंदपाल की कई प्रॉपर्टी को सील कराया. आनंदपाल के कई साथियों को हमने गिरफ्तार करना शुरू कर दिया. 7-8 महीने के अंदर हमने कई प्रॉपर्टी जब्त कीं. हम आनंदपाल को चारों तरफ से घेरना चाहते थे.”

दिनेश ने आगे बताया कि उन्होंने एक मुखबिर के जरिये सुरिंदर सिंह नाम के व्यक्ति का पता लगाया. पता चला आनंदपाल गैंग के लोग सुरिंदर के घर आते थे. पुलिस ने उससे पूछताछ की तो वो आनंदपाल को पकड़वाने के लिए तैयार हो गया.

आनंदपाल के भाइयों ने उसकी लोकेशन बताई

इसी बीच ASP संजीव भटनागर को आनंदपाल गैंग के बारे में एक सूचना मिली. सूचना ये कि गैंग के लोग फिल्म देखने के लिए जाया करते थे. दिनेश ने बताया,

ये जानकारी मिलने के बाद सिनेमाघर के बाहर हमने पुलिस तैनात कर दी. एक फोन कॉल से आनंदपाल के भाई के बारे में जानकारी मिली. पुलिस ने दोनों को ट्रेस कर गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद इन्हीं दोनों भाइयों ने आनंदपाल की लोकेशन के बारे में बताया.”

आनंदपाल का अंत

दिनेश ने आगे कहा कि आनंदपाल के भाई गट्टू ने हमें बताया था कि आप लोग तैयार रहना, वो सरेंडर नहीं करेगा. दिनेश ने कहा कि हमने पुलिस को जानकारी दे दी थी. पूरी टीमें तैयार कर ली थीं. लोकेशन पर पहुंचते ही आनंदपाल ने घर की छत से फायरिंग कर दी. वो भी पुलिस की ही AK47 से. उस दिन एनकाउंटर लगभग 45 मिनट चला.

सोहन सिंह नाम के एक कमांडो ने उसे हथियार रीलोड करते सुन लिया था. तभी सोहन ने आनंदपाल पर अटैक किया. दोनों में आमने-सामने फायरिंग हुई. फायरिंग में आनंदपाल की मौत हो गई. सोहन सिंह को भी गोली लगी थी. वो चार महीने तक अस्पताल में रहे. आज भी पूरी तरह ठीक नहीं हैं.

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