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बीकानेर,एक तरफ ब्रज की लठमार होली अपनी अलग पहचान रखती है, उसी प्रकार बीकानेर की होली के अवसर पर खेली जाने वाली रम्मतों की भी अपनी एक खास विशेषता है। करीब 400 सालों से परकोटे में यह परंपरा चल रही है।यहां पुराने शहर के हर चौक पर रम्मत का विशेष आयोजन होता आ रहा है। शहर के हर चौक में आज भी राजा-महाराजा की आवाज गूंजती है. होली में अभी एक पखवाड़ा बाकी है, जबकि पुराने शहर में अभी से होली की तैयारियां शुरू हो चुकी है। यहां होली पर खेली जाने वाली रम्मत को लेकर गली-मोहल्लों में पूर्वाभ्यास शुरू हो चुका है।रम्मत कलाकार व उस्ताद भंवरलाल जोशी ने बताया कि हर साल आयोजित होने वाली इस रम्मत में कई पीढ़ियां एक साथ मंच पर अपनी खास भूमिका निभाते नजर आती हैं। जोशी ने बताया कि इस बार रम्मत में मेरी पांचवी पीढ़ी अभिनय कर रही है। इस बार रम्मत में तीन पीढ़ी एक साथ अभिनय करेगी। इन रम्मतों में ख्याल के साथ ही वर्तमान आधारित राजनीतिक व्यवस्था पर कटाक्ष और व्यंग्य भी होते हैं।शहर में रम्मते रात 11 बजे शुरू होती है, जो सुबह तक चलती रहती है। शहर में अलग-अलग चौकों में करीब आधा दर्जन रम्मतें होती होती हैं। इन रम्मतों में लोग राजा-महाराजाओं आदि कई पात्र बनकर उनकी वेशभूषा व आवाजें निकालते हैं। रम्मत का शाब्दिक अर्थ है खेलना। लेकिन बीकानेर में यह खेल शहर के चौकों में खेला जाता है और होली के मौसम में इन रम्मतों में बीकानेर की संस्कृति की झलक दिखाई देती है।

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