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बीकानेर,राजस्थान में इस साल फरवरी में गर्मी ने 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। चार जिलों में तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। मौसम में आए इस बदलाव और भीषण गर्मी का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।
इससे फसलों को नुकसान हो रहा है।मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर के अनुसार बीकानेर में तापमान 36 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया है, जबकि पिछले 11 वर्षों में फरवरी माह में अधिकतम तापमान कभी भी 35.6 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं गया है. इसी तरह बाड़मेर में 38 डिग्री सेल्सियस, अजमेर में 34 और जोधपुर में 36 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रिकॉर्ड किया गया है। जैसलमेर में भी 11 साल में सबसे ज्यादा तापमान दर्ज किया गया है।

राजस्थान के कई शहरों में रात में भी ठंड का असर कम हो गया है. जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जैसलमेर में रात का तापमान 17 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इधर पिलानी, बाड़मेर, कोटा, जोधपुर, गंगानगर में बीती रात न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रिकॉर्ड किया गया।

कृषि अनुसंधान केंद्र, फतेहपुर (सीकर) के अंचल निदेशक अनुसंधान डॉ. एसआर ढाका ने बताया कि अचानक गर्मी का बढ़ना फसलों के लिए काफी हानिकारक साबित होगा. गर्मी के कारण फसल समय से पहले पक जाएगी। इससे गेहूं, सरसों, जौ, चना के दाने अपने प्राकृतिक आकार में नहीं बन पाएंगे और छोटे ही रह जाएंगे।इससे फसलों की उपज में 15 से 20 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह पहले तक तापमान फसलों के अनुकूल था, लेकिन अब बड़ा बदलाव आया है.

पिछले एक सप्ताह के दौरान अचानक मौसम में आए इस बदलाव से बीमारियां बढ़ीं। बड़ी संख्या में लोग खांसी, बुखार और सर्दी की चपेट में आ रहे हैं। सरकारी डिस्पेंसरियों में अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मरीजों में 40 फीसदी इन्हीं बीमारियों से जुड़े होते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम में आए इस बदलाव से वायरस तेजी से सक्रिय हो जाते हैं, जो लोगों को अपनी चपेट में ले लेते हैं।

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल जून तक भीषण गर्मी पड़ेगी। चिंता की बात यह है कि गर्मी के मौसम में तापमान को नियंत्रित करने वाली छिटपुट बारिश भी इस साल न के बराबर रहने की उम्मीद है।मौसम विज्ञानी ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस साल पश्चिमी प्रशांत महासागर में ला नीनो से अल नीनो की स्थिति बन रही है। इसके अलावा आईओडी यानी इंडियन ओशन डिपोल में मौजूदा स्थिति न्यूट्रल है। विशेषज्ञों के अनुसार, जब प्रशांत महासागर में एल नीनो की स्थिति विकसित होती है और आईओडी तटस्थ स्थिति में रहता है, तब भारत में न केवल गर्मी तीव्र होती है, बल्कि मानसून भी कमजोर होता है।इसके पीछे का कारण समुद्र तल पर तापमान में बदलाव है। अभी समुद्र तल पर तापमान सामान्य से 0.4 डिग्री कम है, लेकिन अगले माह मार्च-अप्रैल में इसे बढ़ाकर प्लस करने की स्थिति बन रही है। इसके अलावा हवा का पैटर्न भी तेजी से बदला है।

फरवरी में ही हवा का पैटर्न उत्तर से दक्षिण से उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व में बदल गया है। इसके चलते राजस्थान समेत मध्य भारत और दक्षिण भारत के राज्यों में इस बार फरवरी में तापमान 36 डिग्री या उससे ऊपर चला गया है।

वहीं, इस बार सर्दी के मौसम में पश्चिमी विक्षोभ की आवृत्ति भारत में कम रही है। नवंबर-दिसंबर में कम आवृत्ति के कारण उत्तर भारत में शीत ऋतु की वर्षा और हिमपात कम हुआ, जिससे दिसम्बर तक की सर्दी भी सामान्य से कम रही।

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