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बीकानेर,भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और मौजूदा समय में सामाजिक अधिकारिता विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा ने जयपुर स्थित गांधी नगर के सरकारी आवास पर अपने परिश्रम से पौधों की नर्सरी तैयार की है। डॉ. शर्मा ने आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत भी चरितार्थ की हे। गर्मी के दिनों में आने वाले आम, जामुन जैसे फलों की गुठलियों को भी डॉ. शर्मा ने घर से बाहर कचरे में नहीं फेंका। एक गुठली को संभाल कर रखा और जमीन में बोया। बाद में ऐसे पौधों को प्लास्टिक की थैली में प्लांट किया ताकि आगुंतकों को देने में सुविधा हो। प्रकृति से प्रेम होने की वजह से ही डॉ. शर्मा अपने सरकारी आवास में खाली और बेकार पड़ी जमीन पर शानदार और उपयोगी नर्सरी डेवलप कर ली है। डॉ. शर्मा को इस बात की खुशी है कि वे अब घर पर आए आगुंतकों को मुफ्त में पौधे दे सकेंगे। डॉ. शर्मा चाहते हैं कि लोग बर्थ डे, शादी की सालगिरह आदि के मौकों पर महंगे गुलदस्ते देने के बजाए पौधे दें। गुलदस्ते देने से फूलों की भावनाएं भी आहत होती है। पेड़ पर लगा फूल ज्यादा सुंदर लगता है। पौधे देने से घरों में पेड़ लगाने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी। डॉ. शर्मा ने अपनी नर्सरी में ऐसे पौधे पौध तैयार की हे, जो छोटे घरों में भी आसानी से लग सकते हैं। इनमें पानी प्लांट, स्नेक प्लांट, स्पाइकन प्लांट, जेड प्लांट शामिल हैं। इसी प्रकार गुड़हल, मोगरा, बोगनवेलिया, चांदनी, चंपा, रतनजोत और विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधे भी है। आम, जामुन, मीठा नीम बिल्व आदि फलों के पौधे भी नर्सरी में शामिल किए गए हैं। डॉ. समित शर्मा अब स्वयं भी किसी के घर जाने पर भेंट स्वरूप पौधे ही देते हैं और जो लोग उनके घर आते हैं उन्हें भी पौधे ही दिए जाते हैं। डॉ. शर्मा जब नागौर व चित्तौड़ के जिला कलेक्टर तथा जोधपुर के संभागीय आयुक्त रहे, तब भी सरकारी आवास में पौधों की नर्सरी तैयार करवाई थी। डॉ. शर्मा का मानना है कि जीवन को खुशनुमा बनाने में पेड़ पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब गमले में लगाए पौधे में फूल आते हें जो व्यक्ति को बहुत सुकून मिलता है। अपने द्वारा लगाए गए पौधे में फूल फल आने पर बहुत खुशी होती है। जिन लोगों ने अपने घरों पर थोड़े बहुत गमले रख रखें हैं, उन्हें अपना घर भी अच्छा लगता है। व्यक्ति चाहे कितना भी व्यस्त हो, लेकिन जब वह अपने घर के पौधों को देखता है तो उसे विशेष अनुभूति होती है। कई बार यही पेड़ पौधे तनाव घटाने में भी सहायक होते है। डॉ. शर्मा के सरकारी निवास पर जो भी व्यक्ति आता है, उसे भेंट स्वरूप पसंदीदा पौधा दिया जाता है। डॉ. शर्मा का मानना है कि पेड़ पौधे भले ही न बोलते हों, लेकिन वे संजीव होते हैं। दुलार और देखभाल करने से पेड़ पौधे भी खुश होते हैं। फूल वाले पेड़ को जितना दुलार किया जाएगा, वह उतने ही ज्यादा फूल देगा। इस बात का अनुभव कोई भी व्यक्ति कर सकता है। पेड़ पौधों की वजह से घर में सुख शांति भी होती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-08-2021)
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