












बीकानेर,जहाँ एक तरफ फरवरी के सावे में पूरा शहर दुल्हन की तरह सजा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ जब एक दुल्हन घोड़े पर बैठकर शहर के मुख्य स्थल से होते हुए दुल्हे के घर पहुंची तो वहां से गुजर रहे हर आगन्तुक ने इस नजारे को अपने मोबाईल में कैद किया।
वधु नेहाश्रीमाली के नाना प्रसिद्ध भगवताचार्य व्यास पण्डित शिवदयाल श्रीमाली ने बताया कि विवाह के दौरान श्रीमाली ब्राह्मण समाज की यह अनूठी परम्परा सदियों से चली आ रही है। जिसे समाज के लोग आज भी निभा रहे हैं। इसके पीछे समाज का दृष्टिकोण बालक की ही भांति बालिका के प्रति भी समानता का भाव रहा है।
दुल्हन के मामा डॉ. राजेन्द्र कुमार श्रीमाली ने बताया कि दुल्हा तो शाम को बारात लेकर आता है जबकि दुल्हन दोपहर में ही गाजे-बाजे के साथ घोड़े पर बैठकर अपने ससुराल पहुंच कर सभी बारातियों को निमंत्रण देने जाती है और दुल्हा तथा उसकी माँ दोनों घर की दहलीज पर दुल्हन का स्वागत करते हैं।
