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बीकानेर। गाय के बाद अब घोड़ों, गधों व खच्चरों पर संकट के बादल छाने लगे हैं। अगर यह संकट बढ़ा तो बकरी व कुत्तों सहित मनुष्य पर भी संकट आ सकता है। गंगाशहर थाना क्षेत्र के सुजानदेसर निवासी विकास सांखला की घोड़ी में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि हुई है।

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. वीरेंद्र नेत्रा ने बताया कि सांखला की घोड़ी के बीमार होने पर ग्लैंडर्स रोग की जांच के लिए सैंपल राजूवास द्वारा राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार भेजे गए। जहां जांच में इस रोग की पुष्टि हुई है।

उन्होंने बताया कि रिपोर्ट प्राप्त होने के पश्चात जिला कलेक्टर द्वारा अश्व वंशीय पशुओं के आवागमन खरीद-फरोख्त, मेले प्रदर्शनी और दौड़ पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही पुलिस अधीक्षक को समस्त थानों के लिए इस आदेश की पालना सुनिश्चित करवाने के लिए लिखा गया है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा समस्त पशु चिकित्सालयों के प्रभारियों को अपने क्षेत्र में अश्ववंशीय पशु मालिकों की सूचना क्षेत्रीय पशु रोग निदान केंद्र को भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे अधिक से अधिक सैंपल लिए जा सकें।

डॉक्टर नेत्रा ने बताया कि ग्लैंडर्स रोग मुख्यतः अश्व वंशीय पशु जैसे घोड़ा, खच्चर और गधे में फैलने वाला जीवाणु जनित रोग होता है। इस बीमारी का फैलाव संपर्क में आने पर अन्य पशु जैसे बकरी और कुत्ते में भी होने की संभावना रहती है। साथ ही यह एक जुनेटिक बीमारी है, जो अश्व वंशीय पशु के संपर्क में आने से मनुष्य में भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि यह घातक बीमारी है, जिसमें अधिकांशतः अश्ववंशीय पशुओं की मृत्यु तक हो जाती है। इस बीमारी में पशु के फेफड़े खराब होने की स्थिति में नाक से स्त्राव होने लगता है। उन्होंने बताया कि पशुपालक को रोगग्रस्त पशु को अलग स्थान पर रखने के लिए पाबंद कर दिया गया है। साथ ही उसके चारा पानी देने वाले बर्तन आदि अलग करवा दिए गए हैं।

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