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बीकानेर,राजस्थान की गहलोत सरकार द्वारा आज अपने वर्तमान कार्यकाल का आखिरी बजट घोषित किया गया। गहलोत सरकार से आम जन की नाराजगी के चलते बजट में की गई बड़ी-बड़ी घोषणाएं आचार संहिता की समय सीमा को देखते हुए लागू होना असंभव है। इस प्रकार ये पूर्णतया निरर्थक बजट साबित हो रहा है। गहलोत सरकार के कार्यकाल में राज्य पर राजस्व का 50 प्रतिषत कर्ज है, जिसका ब्याज भी सरकार आम जनता के पैसे से भुगतान करती है। देष में सबसे ज्यादा कर्ज में डूबे राज्यो में राजस्थान प्रथम तीन की श्रेणी में आता है। इस प्रकार बड़ी-बड़ी घोषणाओं को लागू कर पाना असंभव है। राज्य में युवाओं की एक बड़ी संख्या है जो सरकार से राज्य व अपने विकास के हित के लिए उम्मीद रख रहे थे, उनकी उम्मीदो पर भी पानी फिरता नजर आया। इसी के साथ राज्य के प्रमुख जिले बीकानेर के साथ भी सौतेला व्यवहार किया गया है। गहलोत सरकार ने बीकानेर को चार मंत्री तो दे दिए, लेकिन जिले के विकास के लिए कोई मजबूत प्रस्ताव पारित नही किया गया। जिले की बढ़ती आवासीय परिधि के लिए मेट््रो की आवष्यकता, बढ़ती महंगाई व बदलते भौगोलिक परिवेष को ध्यान में रखते हुए डिजिटल व व्यावसायिक षिक्षा को बढ़ावा देने के प्रति योजना, जर्जर पड़े सरकारी खेल मैदानो को वापस उपयोग की स्थिति में लाना औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ड््राईपोर्ट, इंफ्रा प्रोजेक्ट, स्वास्थ्य आदि के प्रति सरकार की कोई रणनीति न होना यह बताता है कि सरकार का यह बजट राज्य, जिले, मध्यम वर्ग, किसान, महिला, युवा के हितो को पूर्ण करने में असफल रहा है।

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