बीकानेर जिले के नापासर कस्बे में एक पीड़ित परिवार द्वारा एसपी से मिलकर बार बार इंसाफ की गुहार की जा रही है, लेकिन पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। पीड़ित परिवार के अनुसार गत 31 दिसंबर 2022 की रात करीब साढ़े नौ बजे नापासर निवासी उम्मेद सिंह आदि ने उनके परिवार के साथ मारपीट की जिसमे पीड़ित परिवार के परिजनों को गंभीर चोटें आई। पीड़ित परिवार द्वारा घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए जो गाड़ी मंगवाई गई उसमे भी अपराधियों द्वारा तोड़ फोड़ की गई।
यहां तक कि शराब के नशे में धुत्त अपराधियों ने परिवार की एक बच्ची की लज्जा भंग करते हुए उसके कपड़े फाड़ डाले।
पीड़ित परिवार द्वारा उपलब्ध करवाए गए वीडियो में अपराधी गण गाड़ी को तोड़ते हुए साफ नजर आ रहे हैं साथ ही अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद है की वो वीडियो में पीड़ित परिवार द्वारा पुलिस बुलाने के नाम पर भी धमकाते हुए दिख रहे हैं।
पीड़ित परिवार द्वारा इसकी एफआईआर नापासर थाने में दर्ज करवाई गई लेकिन पीड़ित परिवार का आरोप है कि नापासर पुलिस ने अपराधियों के साथ सांठ गांठ कर उन्हे तो खुला छोड़ दिया है उल्टा पीड़ित परिवार के ही सदस्य को हिरासत में ले रखा है। घायलों को जब नापासर अस्पताल ले जाया जाता है तो वहां से उन्हें बीकानेर रेफर कर दिया जाता है,। यहां बीकानेर में पीड़ित परिवार के सदस्यों को टांके लगाए जाते हैं और उसके बाद मेडिकल रिपोर्ट में सब कुछ नोर्मल दिखाया जाता है। यदि घायलों की चोट साधारण थी तो नापासर अस्पताल द्वारा बीकानेर क्यों रेफर किया गया, ये बात मेडिकल रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगाती है। इसके बाद भी 2 तारीख को अपराधी गण पुनः पीड़ित परिवार से झगड़ने आते हैं, इसका वीडियो भी पीड़ित परिवार द्वारा उपलब्ध करवाया गया है। इस वीडियो में अपराधिगण में से कुछ के हाथ में हथियार भी नजर आ रहे हैं। इसकी सूचना भी तत्काल नापासर पुलिस को दी जाती है लेकिन पुलिस एक घंटे बाद वहां पहुंचती है इस बात से भी कहीं न कहीं पुलिस की कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह लगता है। पीड़ित परिवार द्वारा बार बार पुलिस के उच्चाधिकारियों से इंसाफ की अपील की जा रही है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सारे सबूत वीडियो के रूप में सामने होने के बावजूद नापासर पुलिस का रवैया कहीं न कहीं पीड़ित परिवार द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप की पुष्टि करता नजर आता है। “आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय” के अपने स्लोगन को सही साबित करने के लिए पुलिस विभाग को इस विषय में उच्च स्तरीय जांच कर निष्पक्षता पूर्वक कार्यवाही करनी चाहिए।