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बीकानेर.बीकाणा यानी बीकानेर संभाग में सरहदी इलाके  आते हैं और पानी यहां चुनावों में प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरकर आता है. खासकर पानी के मुद्दे के साथ जो पार्टी न्याय करती है, वोटर्स उसी के साथ हो लेते हैं.कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में जबरदस्त वापसी करते हुए संभाग की 24 में से सर्वाधिक 11 सीटों पर जीत हासिल की,जबकि 2013 में कांग्रेस यहां सिर्फ तीन सीटें ही जीत पाई थी.

बीकानेर संभाग में वर्तमान में 24 में से 11 सीटें कांग्रेस, 10 बीजेपी, दो कम्युनिस्ट पार्टी और एक निर्दलीय के पास हैं, जबकि इससे पिछले चुनाव में 17 सीट पर बीजेपी, 3 पर कांग्रेस, दो पर जमींदारा पार्टी और एक-एक सीट बसपा और निर्दलीय जीते थे.

गंगानगर: पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इज्जत बचाई

बीकानेर संभाग में चार जिले गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर और चूरू आते हैं. गंगानगर जिले की बात करते तो 2013 के विधानसभा चुनाव में 6 सीटों में से 4 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, जबकि दो सीटें नई-नवेली नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी के खाते में गईं. तब कांग्रेस यहां अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां सेंध लगाई और छह में से दो सीटें (सादुलशहर और करणपुर) जीतने में कामयाब रही. बीजेपी के राम प्रताप कासनियां ने सूरतगढ़ से, बलवीर सिंह लूथरा ने रायसिंह नगर से और संतोष बावरी ने अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्रों से विजयश्री का वरण किया. श्रीगंगानगर से निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमार गौड़ ने जीत दर्ज की. गंगानगर जिले की चार सामान्य सीटों में सादुलशहर, गंगानगर, करणपुर, सूरतगढ़ हैं, जबकि रायसिंगनगर और अनूपगढ़ आरक्षित सीट हैं.

बीकानेर: कांग्रेस और बीजेपी की बराबरी पर रही टक्कर

बीकानेर जिले की कुल सात विधानसभा सीटों में से 6 सीटें सामान्य वर्ग के लिए और एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. सामान्य सीटों में बीकानेर पश्चिम, बीकानेर पूर्व, कोलायत, लूणकरणसर, डूंगरगढ़, नोखा आती हैं, जबकि खाजूवाला आरक्षित सीट है. 2013 के विधानसभा चुनावों में जिले की 7 सीटों में चार पर भारतीय जनता पार्टी, दो पर कांग्रेस और एक सीट निर्दलीय प्रत्याशी ने जीती थी. चौंकाने वाली बात यह रही कि बीकानेर की श्रीकोलायत सीट से 7 बार जीत चुके देवीसिंह भाटी इस बार चुनाव हार गए. पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तीन, बीजेपी तीन सीपीएम एक सीट जीती. बीकानेर पश्चिम से कांग्रेस के बी.डी. कल्ला जीते, तो बीकानेर पूर्व से बीजेपी की सिद्धी कुमारी फिर विजयी रहीं. कोलायत से कांग्रेस के भंवर सिंह भाटी लगातार दूसरी बार विधायक बने तो लूणकरनसर से बीजेपी के सुमित गोदारा जीते. श्री डूंगरगढ़ सीट पर सीपीएम के गिरधारी लाल ने जीत का परचम फहराया. नोखा सीट पर बीजेपी के बिहारीलाल जीते तो आरक्षित खाजूवाला सीट पर कांग्रेस के गोविंद राम मेघवाल ने बीजेपी को हराया

हनुमानगढ़: बीजेपी-कांग्रेस का दो-दो से बराबरी पर मुकाबला

हनुमानगढ़ जिले में विधानसभा की पांच सीट आती हैं. यहां चार सामान्य सीटों में संगरिया, हनुमानगढ़, नोहर और भादरा है, जबकि पीलीबंगा अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. इन सभी सीटों पर 2013 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस और बीजेपी ने दो-दो और एक सीट कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्‍ससिस्‍ट) ने जीती. हनुमानगढ़ से कांग्रेस के विनोद कुमार और नोहर से कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक जीते. संगरिया से बीजेपी के गुरदीप सिंह और पीलीबंगा से बीजेपी के धर्मेंद्र कुमार विजयी रहे. इस चुनाव में भादरा सीट से सीपीआईएम के बलवान पूनियां ने बड़े दलों को शिकस्त देकर चौंकाया.

चूरू: कांग्रेस ने पिछले चुनाव में दी बीजेपी को पटखनी

चूरू जिले में 5 सीटें सामान्य वर्ग के लिए और एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2013 के विधानसभा चुनाव में 4 सीट पर बीजेपी, 1 पर कांग्रेस और 1 पर बहुजन समाज पार्टी ने जीत दर्ज की थी. जिले की इकलौती आरक्षित सुजानगढ़ सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी. 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चार सीटें जीतीं और बीजेपी के हिस्से में सिर्फ दो ही सीटें आ पाईं. इनमें से एक चूरू विधानसभा सीट से एक बार फिर बीजेपी के राजेन्द्र राठौड़ ने जीत का परचम फहराया, रतनगढ़ से बीजेपी के अभिनेश महर्षि जीते. सादुलपुर कांग्रेस की कृष्णा पूनिया, तारानगर से नरेंद्र बुडानिया, सुजानगढ़ से मास्टर भंवरलाल मेघवाल और सरदारशहर से कांग्रेस के भंवरलाल शर्मा विजयी रहे. विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद यहां हुए उप चुनाव में भी कांग्रेस को ही मतदाताओं ने जिताया.

संभाग के नेता देश-प्रदेश में मंत्री भी बने

बीकानेर संभाग ने प्रदेश को कई नेता दिए हैं. कुछ नेता को केंद्र और राज्य सरकार में मंत्री पद पर रह चुके हैं और कुछ वर्तमान में मंत्री हैं. बड़े नेताओं में डॉ. बीडी कल्ला, केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, देवीसिंह भाटी, सहीराम बिश्नोई, रामेश्वर डूडी, डॉ. गोपाल जोशी, पूर्व राजपरिवार की सिद्धी कुमारी, गोपाल गहलोत, वीरेन्द्र बेनीवाल, सोनादेवी बावरी, राधेश्याम गंगानगर, कामिनी जिंदल, निहालचंद, डा. रामप्रताप, चौ. विनोद कुमार, पूर्व मंत्री सुरेंद्रपालसिंह टीटी, गुरमीतसिंह कुन्नर, अशोक चांडक, जगदीशचंद्र जांगिड़, गुरवीरसिंह बराड़, राजेन्द्र राठौड़, कृष्णा पूनिया, भंवरलाल शर्मा नरेंद्र बुडानिया और अभिनेश महर्षि समेत कई नेता शामिल हैं.

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