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नई दिल्ली। वाहन चलाने के दौरान चालकों को झपकी आने पर संभावित दुर्घटना से सचेत करने के लिए वार्निंग सिस्टम की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने इसके मानकों का एक मसौदा तैयार किया है।

पहले चरण में इसे एम, एन टू और एन थ्री श्रेणी केx वाहनों में लागू करने की तैयारी है। गौरतलब है कि एम श्रेणी का आशय उन चौपहिया वाहनों से है जिनमें चालक के अलावा यात्री (आठ से कम) भी होते हैं, जबकि एन टू और एन थ्री वाहन सामान ढोने में इस्तेमांल होते हैं।

सिस्टम करेगा निगरानी और करेगा चेतावनी का अलर्ट जारी

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने आटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड कमेटी (एआइसीएस) से चालकों को नींद आने की स्थिति में अलर्ट करने के लिए यूरोपीय देशों की तर्ज पर ड्राइवर ड्राजिनेस एंड अटेंशन वार्निंग (डीडीएडब्लू) सिस्टम के मानक तय करने के लिए कहा था। एआइसीएस ने जो मसौदा तैयार किया है, उसके अनुसार यह नया फीचर है, जिसे भारतीय बाजार में लागू किया जाना है। डीडीएडब्लू के मामले में यह सभी पक्षों के साथ सामूहिक रूप से सीखने का दौर है।

शुरुआती स्तर पर अगर यह सिस्टम 40 प्रतिशत सटीकता प्रदर्शित करता है तो इसे आगे बढ़ने के लिए बेहतर आधार माना जाएगा। अनुभव और तकनीकी प्रगति के साथ इस आधार मानक को आगे बढ़ाया जा सकता है। अभी जिन वाहनों के लिए इस सिस्टम के मानक तय किए जा रहे हैं, उनमें शहर के अंदर चलने वाली बसें, स्कूल बस, डबल डेकर बस, कंक्रीट मिक्सर, कूड़ा उठाने वाले वाहन शामिल नहीं हैं, लेकिन इन वाहनों के निर्माता भी इस सिस्टम को अपनाने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।

मसौदे के अनुसार डीडीएडब्लू सिस्टम के लिए तकनीकी आवश्यकता के रूप में वाहनों के एक्शन को ट्रिगर बिहैवियर को रेखांकित किया गया है, यानी वाहन के चलने के तरीके के आधार पर यह सिस्टम चालकों की स्थिति की निगरानी करेगा और चेतावनी का अलर्ट भेजेगा। डीडीएडब्लू सिस्टम ड्राइवर की नींद के स्तर की निगरानी करेगा और एक इंटरफेस के जरिये ड्राइवर को अलर्ट करेगा।

इस सिस्टम को इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि वह सिस्टम में गलती की दर की आशंका को पूरी तरह दूर कर सके या फिर उसे न्यूनतम कर सके। यह सिस्टम दो तरह से ड्राइवर को सचेत कर सकता है। एक, स्क्रीन पर फ्लैश के जरिये और दूसरे, आडियो अलर्ट के रूप में। इस प्रकार का सिस्टम कई देशों में इस्तेमाल किया जाता है और उनमें अलग-अलग तकनीक का प्रयोग होता है। वाहनों की स्थिति के अलावा स्टीयरिंग पैटर्न और ड्राइवर की आंख और चेहरे की निगरानी भी इसके आधार होते हैं।

मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, इस सिस्टम से मार्ग दुर्घटनाओं में कमी लाने में बहुत मदद मिलेगी, क्योंकि ड्राइवरों की पलक झपकना तब अत्यंत खतरनाक हो जाता है जब वाहन तेज गति से चल रहा हो। अपने देश में इसका डाटा तो नहीं है कि ड्राइवरों को नींद आने के कारण कितनी दुर्घटनाएं हुईं, लेकिन यह समझा जा सकता है कि मध्य रात्रि से लेकर सुबह चार-पांच बजे तक जो हादसे होते हैं, उनमें एक बड़ा कारण ड्राइवर की पहल झपकना भी है।

पिछले दिनों उत्तराखंड में दिल्ली-देहरादून हाईवे पर भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत के साथ हुई दुर्घटना में भी यह सामने आया था कि नींद आने के कारण उनका अपनी कार से नियंत्रण खत्म हो गया था।

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