बीकानेर वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा राज्यस्तरीय ई-पशुपालक चौपाल में भेड़-बकरियों में पी.पी.आर. रोग विषय पर विशेषज्ञ प्रो. आर.के. तंवर ने पशुपालको से संवाद किया। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने चौपाल में अपने विचार व्यक्त करते हए कहा कि विश्वविद्यालय का हमेशा से ही प्रयास रहा है कि विश्वविद्यालय के शोध कार्यों एवं वैज्ञानिक तकनीकों का पशुपालकों को सीधा-सीधा लाभ मिल सके। विश्वविद्यालय के प्रसार कार्यक्रमों के माध्यम से पशुपालक अपनी सुविधा अनुसार कहीं भी बैठकर परिचर्चा का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाए, यह विश्वविद्यालय का प्रयास है और पशुपालक कल्याण के कार्यक्रमों में आपकी भागीदारी से इसे और अधिक बल मिलेगा। आयोजन सचिव एवं निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने विषय प्रवर्तन करते हुए बताया कि भेड़-बकरियों में पी.पी.आर. रोग एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है जो कि भारत के सभी राज्यों मे मिलता है। प्रायः यह रोग ये एक वर्ष से छोटे मेमनों को अधिक प्रभावित करता है इसे भेड़ एवं बकरी प्लेग भी कहते है। इस रोग से ग्रसित पशुओं में मृत्युदर 50 से 80 प्रतिशत रहती है। पशुपालको को हर वर्ष इस रोग से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता हैं आंमत्रित विशेषज्ञ प्रो. आर.के. तंवर, पूर्व निदेशक क्लिनिक्स, राजुवास, बीकानेर ने विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि पी.पी.आर. रोग भेड़ एवं बकरियों में फैलने वाला विषाणु जनित संक्रामक रोग है जो कि एक पशु से दूसरे पशु के सीधे संपर्क में आने या उसके स्त्राव के संपर्क आने से फैलता है। इस रोग में संक्रमित पशु के आंख-नाक से पानी की तरह स्त्राव निकलना, तेज बुखार, पशु का झुण्ड से अलग रहना, मुंह में छाले एवं घाव की वजह से खाना-पीना कम करना एवं दस्त लगना आदि प्रमुख लक्षणो में से हैं। भेड़ों की तुलना में बकरियों में इस रोग की तीव्रता अधिक मिलती है तथा प्रायः गर्मी के महिने में इस रोग का प्रकोप अधिक रहता है। ग्रसित पशु की उत्पादन क्षमता में कमी, वजन में कमी एव मृत्यु से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इस रोग से बचाव हेतु पशुपालकों को ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए तथा उनके खाने-पीने की पृथक व्यवस्था रखनी चाहिए। पशुचिकित्सक की सलाह से ग्रसित पशुओं का उपयुक्त ईलाज करवाकर एवं स्वस्थ पशुओं में नियमित टीकाकरण करवाकर इस रोग से बचाव कर सकते है। मृत पशु एवं संक्रमित खाद्य पदार्थ को गढ़े में उपयुक्त तरीके से दबाकर, स्वस्थ पशुओं में इस रोग के संक्रमण को रोका जा सकता है। ई-पशुपालक चौपाल में राज्यभर के पशुपालक, किसान, विश्वविद्यालय के अधिकारीगण फेसबुक पेज से जुड़े।
Trending Now
- दंडवत करते हुए देशनोक करणीमाता मंदिर में हाजरी लगाने जा रहे है अनिल धुपड़ सोनी
- 68वीं जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता खो-खो 19 वर्षीय छात्र वर्ग का आयोजन-राउमावि,नौरंगदेसर
- आरएएस अधिकारी प्रियंका बिश्नोई की ईलाज में वसुंधरा हॉस्पीटल द्वारा लापरवाही बरतने से हुए देहावसान की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग,बिहारी बिश्नोई
- भारतीय किसान संघ का जिला सम्मेलन राठौड़ अध्यक्ष और सीगड़ मंत्री मनोनित
- शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रतिनिधिमंडल नें की राज्यपाल हरीभाऊ किशनराव बागडे से शिष्टाचार भेंटवार्ता
- ग्यारवीं कूडो जिला स्तरीय चैंपियनशिप व कैंप का आगाज
- युवाओं को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाएगा रोटरी क्लब
- केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के प्रयास से एयरपोर्ट के विकास और विस्तार में आएगी तेजी
- महामहिम हरिभाऊ साहब पूरे प्रदेश के विश्व विद्यालयों के मानक अधूरे
- अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल कोच स्व.विक्रम सिंह शेखावत स्मृति फुटबॉल प्रतियोगिता का समापन,राजस्थान पुलिस ब्लू और स्पोर्ट्स स्कूल चैंपियन
- राम रहीम के बाद आसाराम को मिली 7 दिन की आजादी,जोधपुर हाई कोर्ट ने दी पैरोल
- वेटरनरी विश्वविद्यालय में,स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों हेतु बैठक आयोजित कुलपति आचार्य दीक्षित ने ली बैठक
- बीकानेर में आयोजित होगा सुशासन के 100 वर्ष समारोह,देश और दुनिया में बीकानेर का नाम रोशन करने वाली 100 प्रतिभाओं का होगा सम्मान
- बालसंत द्वारा पर्यावरण संरक्षण के तहत वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाते हुए 6 साल में निरंतर अब तक कुल 5 पांच लाख पोंधे किये वितरण
- दो युवा करण विजय उपाध्याय ओर निलेश राजेंद्र पारीक ने गोशाला में 14 क्विंटल गो प्रसादी कर मनाया अपना जन्मदिन गोभक्तो ने की प्रशंसा