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बीकानेर,अगर आपको पी बी एम परिसर स्थित हल्दीराम मूलचंद  हृदय रोग अस्पताल जाना पड़े तो सावधानी रखिएगा। वहां डाक्टर नर्सेज का ऐसा कोकस है कि बिना पर्ची के एक कागज के टुकड़े पर बाजार से दवा लिख देगा। पहली बात तो पर्ची नहीं बनेगी। बनेगी तो डॉक्टर की चिट पर बनेगी। मंहगी दवा की चिट थमा कर इलाज की शुरूवात की जाती है। ऐसी चिट वाली दवा पर सीधा 50 प्रतिशत कमीशन मिलता है। अक्सर शाम और रात की पारी में यह खेल चलता है। यही नहीं रोगी की ट्रोपोनिन जांच करवाने के लिए एक निजी अस्पताल भेजा जाता है। Dilitizeen जैसे इंजेक्शन डाक्टर की सलाह पर नर्सिंग स्टाफ चिट पर लिखकर बाहर से मंगवाते है। इसकी कीमत 1900 रूपए बताई जाती है। बड़ा कमीशन भी है। यह खेल कुछ बीमारों के साथ उनकी स्थिति भांप कर किया जाता है ताकि हल्ला नहीं हो । राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी पी बी एम चिकित्सालय बीकानेर के चेयरपर्सन संभागीय आयुक्त डा.नीरज के.पवन के यह बात ध्यान में लाई गई है। वैसे मुख्यमंत्री नि:शुल्क निरोगी राजस्थान योजना के तहत चिकित्सालय में राजस्थान प्रदेशवासियों को दवाएं और इलाज मुफ्त देने की व्यवस्था है। धरातल पर इस योजना में कई कॉकस बने हैं और विसंगतियां भी है। मज़े की बात है अस्पताल प्रशासन, मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। मूलचंद हल्दीराम हृदय रोग अस्पताल में कार्य प्रणाली और कॉकस को लेकर पहले भी कई बार मुद्दा उठा है। यहां व्यवस्था पर निगरानी और सुधार की गुंजाइश है। अन्यथा तो राजस्थान सरकार का मुफ्त इलाज और दवाओं की योजना तो नारों और घोषणाओं में ही रह जाएगी। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत पिछले दिनों बीकानेर में एक निजी अस्पताल में हुआ हंगामा इसका प्रमाण है। मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी कुछ तो व्यवस्था में सुधार करें।

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