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बीकानेर,राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री डा. बी.ड़ी. कल्ला के खिलाफ पूर्व संसदीय सचिव और बीकानेर पूर्व विधानसभा प्रत्याशी कन्हैया लाल झंवर ने 6 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा कि शिक्षा मंत्री डा. कल्ला की ओर से बीकानेर पूर्व में अपनी मनमर्जी से किए शिक्षकों के स्थानांतरण रद्द कर मेरी अनुशंसा के अनुसार स्थानांतरण करने की कृपा करें। इस पत्र पर अभी तक सीएमओ से कोई कार्रवाई नहीं हुई। कैबिनेट मंत्री गोविन्द मेघवाल की पीड़ा का पत्र उजागर होने के बाद कन्हैया लाल झंवर ने भी अपनी पीड़ा बताई है। मुख्यमंत्री जी को यह पत्र क्रमांक 4367 लिखे कमोबेश 5 माह हो गए हैं। सीएमओ ने गोविंद मेघवाल, देवी सिंह भाटी के पत्रों की तरह इस पर कोई नोटिस नहीं लिया था। अपनी ही सरकार के मंत्री मेघवाल और पार्टी प्रत्याशी झंवर के पत्रों का यह हश्र देखकर आम लोगों के पत्रों की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। देवी सिंह भाटी को तो अपने पत्र के माध्यम से गैस त्रासदी पीड़ित परिवार की सहायता की बात की आस ही नहीं करनी चाहिए। जब मुख्यमंत्री को भेजे पत्रों की इतनी अनदेखी है तो प्रशासन में तो भगवान ही मालिक है। सरकार की संवेदना पर ही प्रशासन का रुख रहता है। मुख्यमंत्री जी झंवर ने शिक्षा मंत्री पर आरोप लगाया है कि बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से 12 प्रधानाचार्य के स्थानांतरण कल्ला ने मेरी अनुशंसा की अनदेखी कर मनमर्जी से किए हैं केवल दो स्थानांतरण में मेरी अनुशंसा मानी गई। वरिष्ठ अध्यापकों के 45 स्थानांतरण में मेरी एक भी अनुशंसा नहीं मानी गई। सभी कल्ला ने मनमर्जी से किए। व्याख्याता के 32 स्थानांतरणों में 8 को बाहर भेज दिया। मात्र 16 में मेरी अनुशंसा मानी गई। झंवर ने पत्र में लिखा है कि मुख्यमंत्री जी कल्ला के मनमर्जी से किए स्थानांतरण रद्द कर मेरी अभिशंसा के अनुसार स्थानांतरण करने की कृपा करें। खत हैं कि खता: पत्रों की सरकार में अनदेखी का यह पत्र भी प्रमाण है।मुख्यमंत्री ने इस व्यथा भरे पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की है, वाकय रद्दी में चले जाते हैं पत्र?

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